Bhopal News : देश के विख़्यात साहित्य संस्थान विभोम स्वर के तत्वावधान में रविवार को विभोम स्वर पुस्तक उत्सव का आयोजन किया जा गया. ये आयोजन भोपाल स्थिति दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में शाम 4 बजे आयोजित किया गया. इस आयोजन के तहत पांच किताबों का विमोचन किया गया.



चार उपन्यास का हुआ विमोचन
विभोम स्वर पुस्तक उत्सव कार्यक्रम को लेखक एवं साहित्यकार पंकज सुबीर ने सम्बोधित किया. उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शिवना प्रकाशन सीहोर के माध्यम से प्रकाशित चार उपन्यास दो गज ज़मीन, खैरियत है हुजूर, हरदौल, और उमेदा एक योद्धा नर्तकी उपन्यास के शीर्षक खुद अपनी कहानी वयां करते हैं. इसमें दो उपन्यास एतिहासिक मिथक को दूर करते हैं. जिस तरह हरदौल उपन्यास में भाई अपनी बहन के यहाँ भात भरने लेकर पहुँचे थे, इसी तरह उमेदा उपन्यास में भी महाराजा चैनसिंह सहित उनके सैनिकों के साथ उमेदा ने भी अंग्रेजों से वर्ष 1824 में युद्ध लड़ा था. लेखक सुबीर ने कहा कि एक योद्धा नर्तकी की समाधि अब उपेक्षा का शिकार हो रही है. इसमें भी युद्ध के दौरान हुए कई मिथकों को इस उपन्यास ने दूर किया है. 

कई साहित्यकार व सुधी पाठक हुए शामिल
कार्यक्रम के संयोजक शहरयार खान ने बताया कि विभोम स्वर पुस्तक उत्सव के तहत पांच पुस्तकों का विमोचन किया गया. जिनमें से चार उपन्यास है और एक कहानी संग्रह है. आयोजन में ख़्यात साहित्यकार हरि भटनागर के उपन्यास दो गज़ ज़मीन, उर्मिला शिरीष के उपन्यास ख़ैरियत है हुज़ूर, पंकज सुबीर की कहानी संग्रह हमेशा देर कर देता हूँ मैं, वंदना अवस्थी दुबे के उपन्यास हरदौल और आकाश माथुर के उपन्यास उमेदा एक योद्धा नर्तकी का विमोचन किया गया. शहरयार खान ने बताया कि चारों उपन्यास जिनका विमोचन किया गया है, वे शिवना प्रकाशन से प्रकाशित होकर आए हैं. वहीं पंकज सुबीर के कहानी संग्रह हमेशा देर कर देता हूँ मैं का प्रकाशन राजपाल एण्ड सन्ज़ ने किया है. आयोजन में कईं साहित्यकार व सुधी पाठक शामिल हुए. साथ ही कार्यक्रम का संचालन बद्र वास्ती ने किया.


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