MP News: मध्य प्रदेश में प्रतिदिन 29 बच्चे लापता हो रहे हैं. इनमें से अधिकांश की उम्र 12 से 18 साल के बीच है. लापता होने वाले ज्यादातर बच्चों में लड़कियां अधिक है. मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार महिला और बाल अपराध रोकने के लिए लगातार अभियान चलाने का दावा रही है. बालिका सुरक्षा को लेकर प्रदेश के कई जिलों में पुलिस विभाग द्वारा सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं लेकिन मध्य प्रदेश से प्रतिदिन 29 बच्चों के लापता होना, सरकार के अभियान पर सवाल खड़े कर रहा है. कोरोना काल में भी मध्य प्रदेश में लगातार नाबालिक बच्चे गायब हो रहे हैं. 


चौंकाने वाले आंकड़े आए सामने
चाइल्ड राइट्स आफ यू (क्राई) नामक एनजीओ ने जब आरटीआई के माध्यम से लापता बच्चों के बारे में जानकारी जुटाई तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. साल 2020 में मध्य प्रदेश में लापता बच्चों के मामले में 8751 गुमशुदगी के मामले प्रदेश के 52 जिलों के अलग-अलग थानों में दर्ज किए गए.  इसी तरह के हालात 2021 में भी सामने आए. मध्य प्रदेश में 10648 मामले दर्ज किए गए. दरअसल, कानून के जानकार हाई कोर्ट एडवोकेट वीरेंद्र शर्मा बताते है कि पुलिस बच्चों की गुमशुदगी के मामले में परिवार वालों को ही उनकी तलाश का जिम्मा सौंपती है. एक वजह यह भी है कि गुमशुदगी के मामले गंभीर श्रेणी में नहीं आने की वजह से बच्चों की तलाश के लिए पुलिस के पास ज्यादा वक्त नहीं रहता है. बच्चों के लापता होने के मामले में पुलिस को सीधे अपहरण की एफ आई आर दर्ज करना चाहिए. इसके अलावा दोषियों को सजा दिलानी चाहिए.


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बच्चों के लापता होने के मामले में इंदौर नंबर वन
मध्य प्रदेश में सफाई के मामले में नंबर वन पर अपनी जगह बनाए हुए व्यावसायिक शहर इंदौर गुमशुदगी के मामले में भी नंबर वन पर है. एमपी में सबसे ज्यादा बच्चे यहीं से लापता हुए हैं. इसके अलावा भोपाल, धार, जबलपुर, रीवा में भी बच्चों के लापता होने के ज्यादा मामले सामने आए हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि लापता बच्चों में लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में 5 गुना अधिक है.


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