MP NEWS: विकास और रोजगार के पीछे भाग रही सरकार कहीं देवभूमि को जोशीमठ (Joshimath) ना बना दे, यह चिंता उज्जैन (Ujjain) के साधु-संतों ने जताई है. साधु संतों ने जोशीमठ  से सबक लेने की सलाह भी दी है. 

 

दरअसल, जोशीमठ की घटना को लेकर उज्जैन के साधु संत चिंतित हैं. महामंडलेश्वर शैलाषानंद महाराज ने बताया कि सरकार को धार्मिक स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बजाय उसके पुरातत्व स्वरूप को ही निखारने का काम करना चाहिए. जिस प्रकार से धार्मिक स्थलों को लेकर विकास के मॉडल और श्रेय की राजनीति की जा रही है, यह घातक साबित हो सकती है. 

 

परमहंस अवधेश पुरी महाराज के मुताबिक मध्यप्रदेश में धार्मिक स्थलों को विकसित किया जा रहा है यह स्वागत योग्य फैसला है. मगर पर्यावरण, प्राचीनता और पुरातत्वता का ध्यान रखा जाना बेहद आवश्यक है. जोशीमठ की घटना पूरे देश के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है. जोशीमठ की घटना खतरे की घंटी है जिसे सभी को समझना पड़ेगा. 

 

देवभूमि को भोग भूमि ना बनाएं सरकार

 

रामानुज कोट आश्रम के प्रमुख स्वामी रंगनाथाचार्य के अनुसार सरकार को देवभूमि को भोग भूमि बनाने की बजाए साधु संतों से मशवरा कर उचित रूप में विकसित करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक स्थलों पर सुख सुविधाओं की आवश्यकता है लेकिन इसका विस्तार धार्मिक स्थलों के आसपास करने की बजाय उनसे दूर करना पड़ेगा, तब जाकर धार्मिक स्थलों की प्राचीनता बरकरार रहेगी. उन्होंने दक्षिण भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि तिरुपति बालाजी सहित कई धार्मिक स्थलों पर मंदिर के आसपास विकास करने की बजाय सरकार ने 10 से 15 किलोमीटर दूर सुख सुविधाओं के साधन उपलब्ध कराएं है. 

 

एमपी में इन धार्मिक स्थलों पर सरकार के विकास कार्य

 

मध्य प्रदेश में सरकार ने हाल ही में उज्जैन में महाकाल लोक को विकसित किया है. इसके अलावा ओंकारेश्वर सहित कई धार्मिक स्थलों पर विकास कार्य को लेकर बड़ी घोषणाएं की गई है. साधु संत धार्मिक और प्राचीन स्थलों पर हो रहे आधुनिक विकास पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका मानना है कि विकास कार्य होना चाहिए मगर मजबूती का भी बेहद ध्यान रखना जरूरी है. महंत ज्ञान दास महाराज के मुताबिक जोशीमठ की घटना पूरे देश के सनातनी वर्ग के लिए बड़ा उदाहरण है. सरकार को अब सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर धार्मिक स्थलों का विकास करना होगा.