Jabalpur Fraud Case: मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो लोगों की महंगी कारों को किराए पर लेकर बेच देता था. पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से दो आरोपी सूरत के रहने वाले हैं. इस गिरोह ने गुजरात के अलग-अलग शहरों में गाड़ियों को बेच दिया था. पुलिस ने एक करोड़ रुपये कीमत की 8 कारों को बरामद किया है. फिलहाल गिरोह के दो सदस्य फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है.


एडिशनल एसपी सोनाक्षी सक्सेना ने बताया कि जबलपुर के रहने वाले सतेंद्र सिंह ने ओमती पुलिस थाने में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने बताया कि पियूष नायडू नाम के युवक ने उनसे संपर्क किया और टास्क कंपनी में उनकी स्विफ्ट कार किराए पर चलाने के नाम पर एग्रीमेंट किया था. करीब दो महीने तक तो अनुबंध के अनुसार उन्हें किराया दिया गया, लेकिन बाद में कार चोरी होने की बात कहते हुए किराया देना बंद कर दिया. 






पूछताछ में आरोपियों से हैरान करने वाले खुलासे
पुलिस के मुताबिक, सत्येन्द्र सिंह की शिकायत के बाद जब पुलिस ने जांच शुरू की तो शहर के कई लोगों के साथ इस तरह की घटना होने की जानकारी मिली. इन सभी शिकायतों में पियूष और अन्य दो लोगों के नाम सामने आये. जांच के दौरान मिली जानकारी से पुलिस को इस मामले में किसी बड़े अंतरराज्यीय गिरोह द्वारा फर्जीवाड़ा करने का संदेह हुआ. इसके बाद जांच में धोखधड़ी के इस मामले में कड़ी से कड़ी जुड़ती गई.


एडिशनल एसपी सोनाक्षी सक्सेना के मुताबिक, जबलपुर से गायब हुई कारें गुजरात के अलग- अलग शहरों में होने की जानकारी मिली. जिसके बाद पुलिस ने टास्क कंपनी के एजेंट पियूष नायडू के साथ मुख्य आरोपी पंकज खत्री और नवीन खत्री को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वह लोगों से किराये पर कार लेते थे और उसे कुछ समय तक कार को किराये पर चलाते थे. फिर मौका देखकर उन्हें दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच देते थे.


पुलिस को संदेह है कि इस गिरोह ने नई कारों को भी फाइनेंस करवाकर इसी तरह बेच दिया है. उन्होंने फाइनेंस करने वाले बैंकों को भी चूना लगाया है. बहरहाल पुलिस इस गिरोह से पूछताछ कर रही है, जिससे और भी वारदातों का खुलासा होने की उम्मीद है.


जांच में खुली जालसाजी की कहानी
इस केस में एसपी आदित्य प्रताप सिंह ने ओमती पुलिस थाना को जांच कर उचित कार्रवाई करने के लिए आदेशि दिए थे. जांच में सामने आया कि सतेन्द्र ठाकुर ने पीयूष नायडू से अनुबंध कर उसे अपनी कार दी थी, लेकिन पीयूष नायडू, पंकज खत्री, नवीन खत्री, अरुण मसीह और रेशू मसीह ने उनकी कार को सूरत में बेच दिया है. इसी प्रकार मनोज सब्बरवाल, रामेश्वर करोसिया, सपना सिंह, दिशा सिंह, कृष्णपाल सिंह, रविन्द्र कुमार, देवेन्द्र काछी, अमन सिंह, शुभम करोसिया, राजेश मिश्रा और संजय सिंह की कारों को भी कम्पनी में लगाने का अनुबंध कर हड़प लिया गया.


चेसिस नंबर बदलकर हड़प लेते थे वाहन
पुलिस ने बताया कि अरुण मसीह कारों की चोरी करता था और बाद में उनके चेसिस नंबर बदलकर फाइनेंस की कार को हड़प लेता था. इसके अलावा अरुण द्वारा नवयुवकों को रोजगार और लाभ पहुंचाने का लालच देकर उनसे नई कार फाइनेंस करवाकर कूटरचित दस्तावेज अपने बेटे रेशु मसीह के नाम से पीयूष नायडू, नवीन खत्री और पंकज खत्री के माध्यम से तैयार करवाता है. इसके बाद दो-तीन माह का किराया देने के बाद नई कार गायब कर देता है.


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