Jabalpur News: टूरिज्म (Tourism) के लिए मशहूर भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट (Bhedaghat-Lametaghat) का नाम अब वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट (World Heritage List) में शामिल कराने का पहला चरण शुरू हो गया है. दोनों जगहों का नाम पहले ही टेंटेटिव लिस्ट में आ चुका है. नामांकन डोजियर की शुरुआत एमपीटी कलचुरी रेजीडेंसी की कार्यशाला में हुई. मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड (Madhya Pradesh Tourism Board) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) के साथ जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Geological Survey of India), आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeological Survey of India) और जेएटीसीसी के अधिकारियों ने बेहतर डोजियर निर्माण के लिए मंथन किया. कार्यशाला में जीएसआई के निदेशक, सुभ्रसूची सरकार ने स्थलों का तकनीकी महत्व बताया.


एमपी के नामांकन डोजियर की तैयारी


एमपीटीबी- डब्ल्यूआईआई की स्टेक होल्डर्स की क्षमताओं में बढ़ावा लाने के कार्यशाला आयोजित की गई. कार्यशाला में पुरातत्व सलाहकार ओपी मिश्रा सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे. बता दें कि नर्मदा घाटी (Narmada Valley) में भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura National Park) को विश्व धरोहर स्थलों (World Heritage Sites) की सूची में शामिल करने के लिए "नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, एमपी के नामांकन डोजियर की तैयारी शुरू की गई है.




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नॉमिनेशन डोजियर दूसरा बड़ा कदम


एमपीटीबी के संयुंक्त संचालक (योजना) प्रशांत सिंह बघेल ने बताया कि भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट का वर्ल्ड हेरिटेज की संभावित सूची में नाम आना बड़ी उपलब्धि है. अब दोनों स्थलों को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में पहुंचाने की तैयारी हो रही है. नॉमिनेशन डोजियर दूसरा बड़ा कदम होगा. ड्राफ्ट पहले एएसआई के पास भेजा जाएगा. भारतीय वन्यजीव संस्थान के अधिकारी और शोधकर्ता डॉ. भूमेश सिंह भदौरिया ने बताया कि यूनेस्को (UNESCO) के मापदंडों पर अब हमें खरा उतरना है. हमें रेफर में जाना है, डेफर कैटेगरी में नहीं.


प्रदेश की 6 विभिन्न साइट्स में से भेड़ाघाट, लम्हेटाघाट और सतपुड़ा रिजर्व का चयन किया गया है. भेड़ाघाट और लम्हेटाघाट पहुंचकर डब्ल्यूआईआई की टीम ने डोजियर के लिए तथ्यों को तलाशा. भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट का नाम वर्ल्ड हेरिटेज की संभावित सूची में शामिल होने का बड़ा कारण क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति है. क्षेत्र में करोड़ों साल पहले खतरनाक और बड़े मांसाहारी डायनासोर के जीवाश्म मिले हैं. डायनासोर के अंडों का अवशेष आज भी मौजूद हैं और आधार संगमरमर की चट्टानों की पटिटका भी है.