Jabalpur News: अपने नौकर का आप्रकृतिक यौन शोषण करने के आरोपी पूर्व वित्त मंत्री राघवजी (Ex Finance Minister Raghavji) को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) ने बड़ी राहत दी है.जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने इस मामले में भोपाल में तकरीबन दस साल पहले राघवजी के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त कर दी है.यहां बता दें कि इस केस के कारण मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया था.राघवजी को वित्त मंत्री की कुर्सी तक गंवानी पड़ी और उनका राजनीतिक कैरियर खत्म हो गया.


क्या कहा है एमपी हाई कोर्ट ने


मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण पोर्ट फोलियो रखने वाले व्यक्ति की छवि धूमिल करने के लिए प्रतिद्वंदियों के इशारे पर एफआईआर दर्ज करवाई गई थी.आपराधिक कार्यवाही में स्पष्ट रूप से दुर्भावना झलकती है. 


दरअसल,बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व वित्त मंत्री राघवजी के खिलाफ उनके एक पूर्व कर्मचारी ने भोपाल के हबीबगंज थाने में अप्राकृतिक यौन शोषण का आरोप लगाते हुए धारा 377, 506 तथा 34 के तहत 7 जुलाई 2013 को एफआईआर दर्ज कराई थी.उसने पुलिस को वीडियो सबूत भी दिया था. 


राघवी जी पर आरोप क्या थे


राघवजी ने एफआईआर निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया था कि अनावेदक ने अपनी शिकायत में कहा है कि वह उनके गृह जिले विदिशा का रहने वाला है.वर्ष 2010 में वह नौकरी के लिए भोपाल आया था.वह वित्त मंत्री राघवजी के सरकारी बंगले में रहता था.शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया कि उसने एक अन्य पीड़ित की मदद से वित्तमंत्री का छिपकर वीडियो बनाया था.सहमति के साथ एकांत में अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का वीडियो साजिश के तहत बनाया गया था. याचिकाकर्ता का सरकारी निवास मई 2013 में शिकायतकर्ता ने छोड़ दिया था. लगभग तीन माह बाद उसने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. 


जानें क्या था पूरा मामला 


बताते चलें कि पूर्व वित्त मंत्री राघवजी पर साल 2013 में भोपाल स्थित अपने सरकारी आवास में घरेलू नौकर के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध रखने का आरोप लगा था. इस घटना की सीडी सामने आने के बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया था. सीडी सामने आने के बाद राघवजी को इस्तीफा देना पड़ा था. 


इस मामले के सामने आने के बाद राघवजी के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी जमकर किरकिरी हुई थी. सीएम चौहान पर कार्रवाई में देरी को लेकर विपक्षी कांग्रेस ने उंगलियां भी उठाई थीं. मामला बढ़ता देख बाद में शिवराज सिंह ने उनसे इस्तीफा लेकर विवाद से किनारा कर लिया था. इसके बाद भोपाल की ट्रायल कोर्ट में राघवजी के खिलाफ मुकदमा चल रहा था.


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