जबलपुर: मध्य प्रदेश में अवैध रूप से चल रहे ऑटो रिक्शा पर कार्रवाई न करने पर जबलपुर हाई कोर्ट (MP High Court, Jabalpur) ने सख्त नाराजगी जताई है.हाई कोर्ट ने नियम विरुद्ध ऑटो संचालन के मामले में शासन की ओर से दाखिल किए गए जवाब पर असंतोष जताया है.अदालत ने कहा है कि परिवहन सचिव,ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और आरटीओ जबलपुर अपने कर्तव्य निष्पादन में असफल रहे हैं. हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद सरकार की ओर से अंडरटेकिंग दी गई कि आज मंगलवार (21 February) से हर दिन 150 अवैध रूप से संचालित व ओवरलोड ऑटो पकड़े जाएंगे.


हाई कोर्ट ने क्या कहा है


चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्र की खंडपीठ ने शासन के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई तक हलफनामे पर कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी.ऑटो रिक्शा में एक बार मे सिर्फ तीन सवारी बिठाने के नियम हैं लेकिन इनमें ठूंस-ठूंस कर 15 सवारियां तक बिठाई जाती हैं.इसके साथ ही ग्रामीण परमिट वाले ऑटो नियम विरुद्ध तरीके से शहर में दौड़ाए जा रहे हैं.


कोर्ट ने कहा कि पिछले 10 साल से केस चल रहा है और कार्रवाई के नाम पर कुछ भी ठोस नहीं किया गया.जमीनी समस्या जस की तस है.मामले पर सुनवाई के दौरान यह भी बात सामने आई कि बिना परमिट के चल रहे हजारों ऑटो को मामूली फाइन लगाकर छोड़ दिया जाता है.


याचिकाकर्ता की क्या दलील है


यहां बता दें कि 2013 में जबलपुर के सतीश वर्मा ने शहर के साथ प्रदेश भर में बेलगाम और नियम विरुद्ध ऑटो संचालन को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की थी.सुनवाई के दौरान उन्होंने कोर्ट को बताया कि 30 सितंबर 2019 को सरकार ने अंडरटेकिंग दी थी कि बिना परमिट चल रहे ऑटो को तुरंत जब्त कर छोड़ा नहीं जाएगा. सरकार ने कहा था कि ओवरलोडिंग वाले ड्राइवर को भी गिरफ्तार किया जाएगा.याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि सरकार कागजी रिपोर्ट पेश कर अदालत को गुमराह कर रही है.


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