Harda Pataka Factory Blast: हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट के बाद इस हादसे की परतें खुलती जा रही हैं. राजेश अग्रवाल की पटाखा फैक्ट्री में जो भीषण हादसा हुआ है, वह पांच खामियों की वजह से हुआ है. इन लापरवाहियों में पटाखा फैक्ट्री में क्षमता से अधिक मात्रा में बारुद रखना भी एक बड़ी वजह थी. इसका अलावा फैक्ट्री में फायर सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं थी. इतना बड़ा कारोबार चल रहा था और इन छोटी-थोची लापरवाहियों ने एक बड़े हादसे का रुप ले लिया.


इस पटाखा फैक्ट्री से लगी रहवासियों की कलोनी बनी थी, जहां लोग रहते थे. इनको पीएम आवास भी सरकार द्वारा दिया गया था. जो मजदूर यहां काम करने आते थे उनके पास कोई किट नहीं थी. मजदूर जो कपड़ा पहन कर आते थे, उसी को पहन कर पटाखा फैक्ट्री में काम करते थे. सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर वाटर टैंक होना था, लेकिन उसकी भी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी.  नर्मदापुरम कमिश्रर पवन कुमार शर्मा के अनुसार पटाखा फैक्ट्री के मालिक अग्रवाल बंधुओं के पास पटाखा बनाने के लिए मटेरियल रखने के 12 लाइसेंस थे.


निलंबन के बाद भी फैक्ट्री मालिक के पास था लाइसेंस
नर्मदापुरम कमिश्रर पवन कुमार शर्मा के मुताबिक, जहां हरदा के बैरागढ़ में विस्फोट की घटना हुई, वहां के लिए अग्रवाल बंधुओं के पास दो राज्य सरकार और दो जिला मुख्यालय मिला कर कुल 4 लाइसेंस थे. इसमें राज्य सरकार 300 किलोग्राम और जिला कलेक्ट्रेट 15 किलो ग्राम का लाइसेंस देते हैं. बताया जा रहा है कि साल 2022 में हरदा कलेक्टर ऋषि गर्ग ने अग्रवाल बंधुओं की पटाखा फैक्ट्री का 15 किलो ग्राम का एक लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था, लेकिन बाद में स्टे मिलने के बाद संभाग कमिश्नर माल सिंह ने कलेक्टर को सुनवाई करके निराकरण की बात कही थी, लेकिन एक ओर लाइसेंस निलबिंत कर दिया. इसके बाद भी 300-300 किलो के लाइसेंस फैक्ट्री मालिक के पास था. 


अग्रवाल बंधुओं ने कैसे शुरू किया था कारोबार?
बताया जाता है कि फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल आसपास के लोगों को बारूद देकर पटाखे बनवाने का काम करता था. साल 2015 में एक खेत में 3000 रुपये महीने किराये पर उसने गोदाम लेकर पटाखा बनाने काम शुरू किया था, तब हादसे में दो जानें गई थी. इस मामले में साल 2021 में अग्रवाल को 10 साल की सजा हुई थी, पर हाईकोर्ट से जमानत मिल गई. फैक्ट्री फिर चलने लगी. तत्कालीन हरदा एसडीएम श्रुति अग्रवाल के अनुसार सुरक्षा मानकों का पालन नहीं होने पर मैंने जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंपा था. कलेक्टर ऋषि गर्ग ने फैक्ट्री को सील करने के आदेश दिए थे. इस मामले में हरदा एसडीएम केसी परते का कहना है कि तत्कालीन संभागायुक्त मालसिंह ने अगली सुनवाई तक के लिए राजेश को स्टे दिया था, लेकिन उसने फैक्ट्री फिर खोल ली.


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