IPS Manoj Sharma: मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के छोटे से गांव के रहने वाले आईपीएस अधिकारी मनोज शर्मा ऐसे युवाओं के लिए बड़ी प्रेरणा हैं जो मोहब्बत में उलझ कर समय और करियर बर्बाद कर लेते हैं. आईपीएस मनोज शर्मा ने प्यार की खातिर सारी विपरीत परिस्थितियों से आगे बढ़कर यूपीएससी का एग्जाम क्रैक कर लिया. इन आईपीएस अधिकारी से प्रभावित होकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने उनसे मिलने की इच्छा तक जाहिर की है.


आईपीएस अधिकारी मनोज शर्मा को लेकर लेखक अनुराग पाठक ने 'टूवेल्थ फेल' (Twelth Fail) पुस्तक लिखी. इस पुस्तक में उन सभी बातों का उल्लेख किया गया है जो मनोज शर्मा ने सहा है. मुरैना के रहने वाले मनोज शर्मा ने काफी गरीबी देखी. उन्होंने कक्षा आठवीं, दसवीं में तीसरा स्थान हासिल कर पासिंग मार्क्स अर्जित किए. इसके बाद जब उन्होंने 12वीं की परीक्षा दी तो फेल हो गए. इस दौरान उन्हें अपनी क्लासमेट श्रद्धा से प्रेम हो गया. जब 12वीं फेल हो गए तो उन्होंने मायूस होने की वजह अपने हौसले को और बुलंद कर दिया. 


पूरा किया 'दुनिया पलटने' का वादा
एक बार मनोज शर्मा ने श्रद्धा से बातों ही बातों में कह दिया, "यदि वह हां, कर दे तो दुनिया भी पलट सकते हैं." मनोज शर्मा ने केवल कहा ही नहीं बल्कि कर दिखाया. उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में 121वीं रैंक हासिल कर आईपीएस कैडर में उपस्थिति दर्ज करा दी. उन्होंने क्लासमेट श्रद्धा से ही विवाह किया और वर्तमान में आईपीएस अधिकारी की पत्नी भारतीय राजस्व सेवा की अधिकारी है. 


दिग्विजय सिंह ने जताई मिलने की इच्छा
आईपीएस मनोज शर्मा पर एक फिल्म भी बनी है. इस फिल्म का ट्रेलर देखकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह काफी प्रभावित हुए. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि वे आईपीएस मनोज शर्मा से मिलना चाहते हैं. मनोज शर्मा किस केदार के अधिकारी है और वर्तमान में कहां उनकी पोस्टिंग है ? इस बात की जानकारी यदि उन्हें मिल जाए तो मनोज शर्मा से जरूर मुलाकात करेंगे.


ऑटो चलाया और चपरासी भी बने
आईपीएस मनोज शर्मा निर्धन परिवार से होने की वजह से शुरू से ही मेहनतकश रहे हैं. उन्होंने पढ़ाई को कंप्लीट करने के लिए लाइब्रेरी चपरासी का काम किया. इसी के साथ ऑटो भी चलाया. जब एक बार उनका ऑटो पुलिस ने पकड़ लिया और कार्रवाई के लिए दस्तावेज अनुविभागीय अधिकारी तक पहुंचे तो उन्होंने एसडीएम से प्रभावित होकर यह ठान लिया कि वे खुद भी एसडीएम बनेंगे. हालांकि उनका ऑटो भले ही एसडीएम से निवेदन के बावजूद नहीं छूटा हो लेकिन उन्होंने एसडीएम से भी ऊंचा पद हासिल कर कई युवाओं के सामने मिसाल कायम कर दी.


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