Kusama Nain Story: चम्बल के बीहड़ में कई नामी और खूंखार डाकू हुए हैं. सभी की डाकू बनने की अपनी अलग-अलग कहानी है. ऐसी ही थी एक महिला डाकू कुसमा नाइन जो चम्बल आतंक का पर्याय थींं. कुसमा नाइन का जन्म उत्तर प्रदेश के जालौन के टिकरी गांव में हुआ था. पिता गांव के प्रधान थे तो कुसुमा को बचपन से कोई कमी नहीं थी. लाड-प्यार में पली-बढ़ी कुसमा थोड़ी बड़ी हुई तो स्कूल जाने लगी.13 वर्ष की उम्र में स्कूल के माधव नाम के लड़के से प्यार हो गया और प्यार के चलते ही कुसमा नाइन एक दिन माधव के साथ भाग गई.


कुसमा के भाग जाने के बाद कुसमा के पिता ने पुलिस में मामला दर्ज कराया और पुलिस कुसमा को दिल्ली से दस्तयाब कर ले आई. उसी दौरान माधव मल्लाह पर डकैती का मामला दर्ज हो गया. माधव मल्लाह का साथी विक्रम मल्लाह चम्बल का कुख्यात डकैत था. जब माधव मल्लाह पर डकैती का मामला दर्ज हुआ तो माधव अपने दोस्त विक्रम मल्लाह के पास चम्बल के बीहड़ में चला गया. माधव मल्लाह के जाने के बाद कुसमा के पिता ने कुसुमा की शादी केदार नाई के साथ कर दी. जब माधव को कुसमा की शादी का पता चला तो एक दिन माधव मल्लाह अपनी गैंग के साथ कुसमा के सुसराल पहुंच गया और कुसमा को अपहरण करके ले गया.


लालाराम से कर बैठी प्यार


माधव ने कुसुमा को अपनी गैंग में रखा. माधव मल्लाह के साथी को डाकू फूलन देवी का साथी भी माना जाता था, इस लिए कुसमा नाइन को फूलन देवी के दुश्मन डाकू लालाराम को ठिकाने लगाने का काम दिया गया और कुसमा को लालाराम की गैंग में भेजा दिया. कुसमा को लालाराम के साथ प्यार का नाटक कर उसे ठिकाने लगाने के लिए भेजा गया था. लेकिन कुसमा लालाराम से प्यार का नाटक करते-करते उससे हकीकत में प्यार में करने लगी. डाकू लालाराम ने कुसमा को हथियार चलाना सिखाया. धीरे-धीरे कुसमा हथियार चलाने में माहिर हो गई और लूट ,अपहरण और फिरौती की वारदातों को अकेले ही अंजाम देने लगी.




कुसमा ने लालाराम की गैंग में अपनी खास जगह बना ली थी. इस दौरान लालाराम और कुसमा नाइन के प्यार के चर्चे बीहड़ में हर तरफ फैलने लगे थे. कुसमा का कहर चम्बल के बीहड़ में बढ़ता ही जा रहा था. लोग कुसमा के नाम से ही घबराने लगे थे. बताते हैं कि एक बार जालौन के एक गांव में कुसमा ने एक महिला और एक बच्चे को जिन्दा ही जला दिया था, उसके बाद कुसमा का खौफ बढ़ता ही चला गया. चम्बल के बड़े-बड़े डाकू कुसमा के नाम का खौफ खाने लगे. उधर फूलन देवी और डाकू विक्रम मल्लाह के प्रति कुसमा की नफरत बढ़ती गई और कुछ समय बाद कुसमा ने डाकू लालाराम के साथ मिलकर डाकू विक्रम मल्लाह और माधव मल्लाह को मुठभेड़ में मरवा दिया.


फूलन देवी की तरह 15 मल्लाहों को मारा 


1982 में डाकू फूलन देवी ने 22 ठाकुरों को गोली मारकर हत्या करने के बाद आत्मसमर्पण कर दिया था. इसके बाद चम्बल के बीहड़ में एक ही नाम कुसमा नाइन का गूंजता था. लूट, डकैती और हत्याओं की कई घटनाओं को अंजाम देने वाली कुसमा किसी को जिंदा जला देती तो किसी की आंखे निकाल लेती थी. लेकिन कुसमा का नाम तभी सुर्खियों में आया जब कुसमा ने भी डाकू फूलन देवी की तरह 15 मल्लाहों को एक साथ कतार में खड़ा कर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. डाकू कुसमा नाइन का कहर बढ़ता ही जा रहा था उसी दौरान कुसमा चम्बल के बीहड़ में फक्कड़ बाबा के गिरोह में चली गई. लालाराम के गिरोह को छोड़कर वह लालाराम से भी ताकतवर बन गई. कुसमा अब फक्कड़ बाबा के गिरोह में ही रहने लगी थी.




आत्मसमर्पण किया कुसमा नाइन ने 


कहा जाता है कि कुसमा नाइन ने एक रिटायर्ड ADG हरदेव आदर्श शर्मा का अपहरण किया और उससे 50 लाख की फिरौती मांगी थी, लेकिन उसके ने फिरौती की राशि नहीं दी तो कुसमा ने उसे गोली मारकर नहर में बहा दिया था. इस घटना के बाद पुलिस ने कुसमा पर 35 हजार का इनाम रखा था लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई. चम्बल के बीहड़ में फक्कड़ बाबा रहता था तो डकैत की हत्या करता था लेकिन उतना ही उसका ध्यान अध्यात्म में भी था. पूजा-पाठ और भक्ति भाव में आगे रहता था. चम्बल के कई डाकू फक्कड़ बाबा को गुरु मानते थे. फक्कड़ बाबा के संपर्क में आने के बाद कुसमा का भी ध्यान भक्ति भाव में लगने लगा.


जब कई वर्षों से बीहड़ में रहने के बाद उसका मन चम्बल के बीहड़ से उचट गया तो कुसमा ने फक्कड़ बाबा की पूरी गैंग के साथ वर्ष 2004 में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. कोर्ट ने कुसमा नाइन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. बता दें कि कुसमा नाइन इस वक्त भी जेल में है और जेल में रहकर वह अन्य कैदियों को गीता और रामायण का पाठ कराती है. चम्बल के बीहड़ की खूंखार कुसमा अब बिलकुल बदल चुकी है.


ये भी पढ़ें: MP News: कौन हैं लहरी बाई जिनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हुए मुरीद, जानें मिलेट्स संरक्षण के लिए क्या किया है