भोपाल में किसानों का जल सत्याग्रह और जल समाधि आंदोलन सोमवार (25 अगस्त) को चौथे दिन भी जारी रहा. भोपाल और सीहोर जिले के किसान विगत चार दिन से सरकार से फसलों को लेकर बीमा दिलावाने की मांग कर रहे हैं. भोपाल जिले के ग्राम टिलाखेड़ी तालाब से लगी कुलासी नदी में और सीहोर जिले के ग्राम लसुड़िया खास, ग्राम छोटी मुंगावली और छापरी कलां के किसान पार्वती नदी, सीवन नदी में जल सत्याग्रहण करते हुए किसानों ने शुक्रवार को जल समाधि ली.

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किसानों ने बीमा कंपनी की अर्थी निकालते हुए उसे सीवन नदी में डुबा दिया. नदी में डालने से पहले किसानों ने बीमा कंपनी की अर्थी को गांव में घुमाया और फिर सीवन नदी में जाकर उसे डुबा दिया.

किसानों का क्या है आरोप?

किसान और समाजसेवी एम.एस. मेवाड़ा, बनेसिंह मेवाड़ा, गुलाबसिंह, हिम्मत सिंह, केदार सिंह, कमल सिंह, शिवचरण, रामलाल, मोतीलाल, बद्रप्रसाद, देवीसिंह, चंदर सिंह इसमें शामिल रहे. इनलोगों का कहना है कि पिछले पांच वर्षो से हम किसानों की सोयाबीन और अन्य फसलें प्राकृतिक आपदा से बर्बाद हो रही हैं, जिसका हर 6 माह में बैंक द्वारा बीमा का पैसा काटकर बीमा कंपनी को भेज दिया जाता है, लेकिन हमलोगों को अब तक पैसा नहीं मिला.'' 

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भोपाल और सीहोर के 80 फीसदी किसानों को नहीं मिली राशि

किसाना पिछले पांच वर्षो से लगातार किसी न किसी गांव में बर्बाद हुई फसल के बीमा की मांग को लेकर जल सत्याग्रह किया, पेड़ों पर बैठकर घंटी बजाई, कलेक्टर से लेकर कमिश्नर, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय कृषि मंत्री, मुख्यमंत्री जी के नाम बीमा देने मांग को लेकर ज्ञापन देते चले आ रहे हैं. भोपाल और सीहोर जिले के 80 प्रतिशत किसानों को बीमा की राशि नहीं मिली. 

कुछ किसानों को 100 से 1000 रू तक मिली बीमा राशि

उन्होंने आगे कहा, ''कुछ किसानों को 100 रू से लेकर 1000 रू तक ही बीमा राशि मिली है. ये राशि 200 रू प्रति एकड़ के हिसाब से मिली है, जो हमारे लिए ऊंट के मुंह में जीरा है. अब किसान दुखी-परेशान होकर बीमा राशि की देने की मांग को लेकर पिछले चार दिन से लगातार किसी न किसी गांव के किसी न किसी नदी में जल सत्याग्रह और प्रदर्शन कर रहे हैं.