प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षाविद् सोनम वांगचुक को लद्दाख पुलिस ने शुक्रवार (26 सितंबर) को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद उन्हें जोधपुर जेल भेज दिया गया है. इस कार्रवाई को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं.

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हेमंत सोरेन ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, "उम्मीद की एक और किरण सलाखों के पीछे... जल-जंगल-जमीन, भाषा-संस्कृति-अधिकार की रक्षा एवं देश के लिए समर्पित एक और मजबूत आवाज को गुमनाम बनाने के लिए किए जा रहे षड्यंत्रों पर पूरे देश की नजर है."



लेह में हिंसा के बाद गिरफ्तारी


सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी लेह में हुई उन हिंसक घटनाओं के दो दिन बाद की गई, जिनमें चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.


इन घटनाओं के बाद प्रशासन ने सुरक्षा कड़ी कर दी और शहर में किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए तुरंत एहतियात बरतते हुए इंटरनेट सेवाओं को पूरी तरह बंद कर दिया. इसके अलावा, पुलिस ने कई संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त गश्त और चौकसी बढ़ा दी है, ताकि हालात नियंत्रित रह सकें.


पुलिस का कहना है कि हालात बिगड़ने की बड़ी वजह वांगचुक के भाषण थे. इसी आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया और NSA जैसी सख्त धारा लगाई गई. 


गृह मंत्रालय का आरोप 'भीड़ को भड़काया गया'


केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि वांगचुक ने अपने भाषणों में अरब स्प्रिंग और नेपाल के जेन जेड प्रदर्शनों का हवाला दिया, जिससे भीड़ भड़क उठी. मंत्रालय का बयान था कि भीड़ को सोनम वांगचुक के भड़काऊ बयानों से उकसाया गया था. 


समर्थकों में नाराजगी


सोनम वांगचुक न सिर्फ लद्दाख बल्कि पूरे देश में पर्यावरण और शिक्षा सुधार को लेकर जानी-मानी आवाज रहे हैं. उनके समर्थकों का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है. सोशल मीडिया पर भी लोग गिरफ्तारी पर सवाल उठा रहे हैं और इसे आवाज दबाने की कोशिश बताया जा रहा है.