झारखंड में इस सयम कुड़मी समाज का आंदोलन भीषण होता जा रहा है. 20 सितंबर को कुड़मी समुदाय ने अनुसूचित जनजाति कुड़मी समाज के लोगों ने 'रेल रोको' आंदोलन के तहत कई ट्रेनों को बाधित किया.

Continues below advertisement

उनकी मांग है कि उन्हें ST (Schedule Tribe) का दर्जा और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए. 'रेल रोको' आंदोलन के चलते दक्षिण पूर्व और पूर्व मध्य रेलवे के कई मंडलों में 100 से अधिक ट्रेनें रद्द, मार्ग परिवर्तित या बीच में ही रोक दी गईं. इससे हजारों यात्री फंस गए और रेलवे परिचालन पूरी तरह बाधित हो रहा.

आंदोलन का दायरा और मुख्य मांगें

कुड़मी समुदाय के सदस्य आदिवासी कुड़मी समाज (एकेएस) के बैनर तले रांची, धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग और पूर्वी सिंहभूम समेत कई जिलों के स्टेशनों पर पटरियों पर बैठ गए. आंदोलनकारियों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे पटरियों से नहीं हटेंगे.

Continues below advertisement

1931 में एसटी सूची से हटाए जाने के बाद से समुदाय अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है. इस आंदोलन की वजह से रांची मंडल में वंदे भारत और राजधानी एक्सप्रेस समेत 12 ट्रेनें रद्द हुईं, जबकि धनबाद मंडल में 25 यात्री ट्रेनें रद्द और 24 के मार्ग बदले गए.

यात्रियों पर असर और प्रशासन की कार्रवाई

हजारों यात्री अलग-अलग स्टेशनों पर फंसे रहे. घाटशिला स्टेशन पर फंसी मालती घोष ने कहा कि उनकी बेटी पुणे में बीमार है, लेकिन ट्रेनें कब चलेंगी इसकी कोई जानकारी नहीं है. टाटा-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस को मुरी स्टेशन पर रद्द करने के बाद यात्रियों ने हंगामा किया. रेलवे अधिकारियों ने यात्रियों को उनके मूल स्टेशन तक पहुंचाने के लिए वैकल्पिक इंतजाम शुरू किए.

रांची और पूर्वी सिंहभूम जिलों में बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई. सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने और पटरियों को खाली कराने की कोशिश की, जबकि पुलिस महानिदेशक ने अतिरिक्त बल, सीसीटीवी और ड्रोन तैनात करने के निर्देश दिए.

आजसू प्रमुख सुदेश महतो समेत कई नेताओं ने आंदोलन को समर्थन दिया और कहा कि यह कुड़मी समुदाय के अधिकारों के लिए जरूरी है. दूसरी ओर, विभिन्न आदिवासी संगठनों ने रांची में राजभवन के पास विरोध प्रदर्शन किया और इसे “अलोकतांत्रिक” बताया. पीटीआई के अनुसार, उनका कहना है कि कुड़मी समुदाय असली अनुसूचित जनजातियों के अधिकार छीनना चाहता है. इस बीच, पुलिस और रेलवे प्रशासन लगातार समन्वय बनाकर स्थिति को नियंत्रित करने और रेल परिचालन बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं.