झारखंड में आज शनिवार (20 सितंबर) से कुड़मी समुदाय अनिश्चितकालीन ‘रेल टेका’ (रेल रोको) आंदोलन शुरू करने जा रहा है. इस आंदोलन का मकसद है अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना. झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा तक फैले वृहत्तर छोटानागपुर इलाके में कुड़मी समाज इस आंदोलन को लेकर लामबंद है.
शांतिपूर्ण आंदोलन का भरोसा
आदिवासी कुड़मी समाज और कुड़मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा है कि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण होगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदर्शनकारी रेल पटरियों पर बैठकर अपनी मांग रखेंगे, लेकिन रेल यातायात को बाधित करने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसी गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे.
ओहदार ने कहा, “हम कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश से अवगत हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि रेल पटरियों पर विरोध-प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से हो तथा किसी भी परिस्थिति में सदस्य रेलवे की संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे या हिंसा में शामिल नहीं होंगे. सदस्यों से कहा गया है कि जब राज्य या रेलवे इकाइयों के सुरक्षाबल उन्हें पटरियों से हटाने या एहतियातन हिरासत में लेने की कोशिश करें, तो वे प्रतिरोध न करें.”
20 सितंबर को कलकत्ता हाईकोर्ट ने कुड़मी समुदाय के रेल और सड़क जाम की योजना को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था. अदालत ने रेलवे और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखें और आम जनता की आवाजाही प्रभावित न होने दें.
इसके बावजूद कुड़मी समाज अपनी मांगों को लेकर अडिग है और शांतिपूर्ण तरीके से रेल पटरियों पर बैठने का ऐलान कर चुका है.
विरोध में भी प्रदर्शन
इधर, संयुक्त आदिवासी संगठन के बैनर तले कई आदिवासी संगठनों ने कुर्मी समाज की इस मांग का विरोध किया है. संगठन की प्रवक्ता निरंजना टोप्पो ने साफ कहा कि कुर्मियों को एसटी दर्जा देना अवैध है.
उनका दावा है कि इस आंदोलन से रेलवे को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. उन्होंने यह भी ऐलान किया कि वे आज राजभवन के पास प्रदर्शन करेंगे और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम एक ज्ञापन राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार को सौंपेंगे.
आंदोलन को लेकर प्रशासन अलर्ट
संभावित आंदोलन को देखते हुए प्रशासन भी पूरी तरह अलर्ट है. शुक्रवार से ही टाटानगर समेत चार बड़े रेलवे स्टेशनों के आसपास निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. यह कार्रवाई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत की गई है.