झारखंड के प्रवासी मजदूरों के विदेश में फंसे होने का एक और मामला सामने आया है, जिसमें गिरिडीह और हजारीबाग के पांच मजदूर इस बार अफ्रीका के कैमरून में गंभीर संकट में हैं. इन मजदूरों को जिस कंपनी ने काम पर रखा था, वह अब उन्हें उनके काम के बदले मजदूरी का भुगतान नहीं कर रही है. भुगतान न मिलने के कारण मजदूरों को वहां रहने और खाने-पीने जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
फंसे हुए मजदूरों ने अपनी पीड़ा को साझा करते हुए एक वीडियो संदेश भेजा है और केंद्र तथा राज्य सरकार से तत्काल मदद की अपील की है. मजदूरों ने यह वीडियो प्रवासी श्रमिकों के हित में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सिकन्दर अली को भेजा है.
सिकन्दर अली ने इस वीडियो को मीडिया के साथ साझा करते हुए दोनों सरकारों से इन मजदूरों की सकुशल वतन वापसी के लिए ठोस कूटनीतिक पहल करने की पुरजोर मांग की है.
पुरानी घटनाओं से सबक नहीं
सिकन्दर अली ने इस बात पर जोर दिया कि विदेशों में मजदूरों के फंसने का यह कोई पहला मामला नहीं है. उन्होंने कहा कि "ज्यादा पैसे कमाने की लालच में" प्रवासी मजदूर अक्सर विदेश जाकर संकट में फंस जाते हैं और फिर उन्हें वापस लाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. उन्होंने खेद व्यक्त किया कि पिछली घटनाओं के बावजूद, प्रवासी मजदूर सबक नहीं ले रहे हैं.
हालिया मामले
इसी महीने सरकार के प्रयासों से ट्यूनीशिया में फंसे 48 मजदूरों की वतन वापसी कराई गई है. वहीं, गिरिडीह जिले के बगोदर के पांच अगवा मजदूर पिछले लगभग सात महीने से नाइजर से रिहा नहीं हो सके हैं. इसके अतिरिक्त, गिरिडीह जिले के डुमरी के प्रवासी मजदूर विजय कुमार महतो का शव एक महीने से सऊदी अरब में पड़ा है, जिसे वापस लाने का इंतजार है.
फंसे हुए मजदूरों की पहचान
कैमरून में फंसे पांच मजदूरों में हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत ऊंचाघना के सुनील महतो, सुकर महतो, करगालो के चंद्रशेखर कुमार, डीलों महतो, और गिरिडीह जिले के डुमरी के दिलचंद महतो शामिल हैं.
सरकार को इन मजदूरों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और साथ ही, विदेशों में रोजगार के लिए जाने वाले श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु एक मजबूत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है.
(पंचानंद राय की रिपोर्ट)