Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट (High Court) ने राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (RIMS) के निदेशक की कार्यशैली पर गहरी नाराजगी जाहिर की है. अदालत रिम्स की बदहाली और नियमों के विपरीत आउटसोर्सिंग के जरिए कर्मियों की नियुक्ति मामले की सुनवाई कर रही थी. दायर जनहित याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करते कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा कि ऐसा लगता है कि रिम्स निदेशक काम नहीं करना चाहते हैं.


रिम्स निदेशक पर हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणी


निदेशक रांची की बजाय दिल्ली या विदेश में ज्यादा समय बिताना चाहते हैं. ऐसे में उन्हें रिजाइन कर देना चाहिए. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में हुई सुनवाई के दौरान राज्य के स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह कोर्ट में सशरीर उपस्थित हुए. कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा कि रिम्स में स्वीकृत पदों पर नियमित नियुक्ति करने की हिदायत के बावजूद आउटसोर्सिंग पर नियुक्ति क्यों की गई? रिम्स ने इस सिलसिले में राज्य सरकार से मार्गदर्शन क्यों मांगा, जबकि स्वीकृत पदों पर स्थाई नियुक्ति का आदेश हाईकोर्ट का आदेश था.


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नागरिक देश का होता है, राज्य का नहीं- HC


इस मामले में रिम्स निदेशक पर अवमानना का मामला चलाया जाएगा. खंडपीठ ने कहा कि सरकार की ओर से रिम्स में आउटसोर्सिंग के आधार पर नियुक्ति के लिए सरकार की ओर से संकल्प जारी करना सही निर्णय नहीं था, क्योंकि इससे संबंधित मामला अभी कोर्ट में चल रहा है. खंडपीठ ने पूछा कि कि रिम्स में चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति के विज्ञापन में यह कैसे लिखा है कि झारखंड के नागरिक ही आवेदन कर सकते हैं? नागरिक देश का होता है, राज्य का नहीं. कोर्ट ने कहा कि हालांकि बाद में सरकार ने नए विज्ञापन में इसमें संशोधन कर दिया. लेकिन इससे कई उम्मीदवार वंचित हो गए और उनकी उम्र सीमा बीत गई. सुनवाई के दौरान रिम्स ने भी माना कि विज्ञापन में गलती हुई है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को निर्धारित की है.