झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता चंपाई सोरेन ने गोड्डा में सूर्या हांसदा की कथित मुठभेड़ में मौत को गंभीर सवालों से जोड़ते हुए CBI जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह घटना सिर्फ एक मौत नहीं, बल्कि आदिवासी आवाज को दबाने की कोशिश का संकेत है. चंपाई का आरोप है कि खनन माफिया और खास लोगों के खिलाफ बोलने वालों को सरकारी तंत्र के जरिए खामोश किया जा रहा है.

चंपाई सोरेन के आरोप और सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कई सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सूर्या हांसदा की पत्नी ने देवघर में गिरफ्तारी के तुरंत बाद मौत की आशंका जताई थी, जो गोड्डा पहुंचते-पहुंचते सच साबित हुई.

चंपाई ने पूछा, 'हथकड़ी लगे बीमार व्यक्ति ने पुलिस पर गोलियां कैसे चलाईं? देवघर से गोड्डा तक बिना किसी हमले के सफर के बाद, अचानक वह हमलावर कैसे हो गया? आधी रात को जंगल में ले जाने की बजाय सुबह तक इंतजार क्यों नहीं किया गया? गोलियां पैरों की बजाय सीने पर क्यों मारी गईं?'

न्यायिक प्रक्रिया और भेदभाव के आरोप

चंपाई सोरेन ने कहा कि किसी भी आरोपी को सजा देना अदालत का काम है, लेकिन जब पुलिस ही साजिश में शामिल दिखने लगे, तो न्याय की नींव कमजोर हो जाती है.

उन्होंने आरोप लगाया कि बोकारो में अगर अपराधी एक विशेष समुदाय से हो, तो सरकार के मंत्री न सिर्फ बड़े नेताओं से उनके परिवार को मदद दिलवाते हैं, बल्कि नौकरी का भी इंतजाम करते हैं. वहीं, आदिवासियों के पक्ष में आवाज उठाने वालों को मारा या डराया जाता है. यह प्रवृत्ति झारखंड की राजनीति में खतरनाक रूप से सामान्य होती जा रही है.

इस मामले की CBI जांच होनी चाहिए- चंपाई सोरेन

पूर्व मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि इस मामले की CBI जांच होनी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आए और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो आदिवासी समाज में सरकार और पुलिस के प्रति अविश्वास और गहरा होगा.

उनके अनुसार, यह सिर्फ एक व्यक्ति की मौत का मामला नहीं, बल्कि पूरे राज्य में आदिवासियों की सुरक्षा और अधिकारों का सवाल है.