Jharkhand Monsoon Rain Update: मानसून (Monsoon) की बेरुखी से झारखंड (Jharkhand) में सूखे की आहट है. खेतों में नमी गायब है और किसानों ( Farmers) के माथे पर चिंता का पसीना है. पूरे राज्य में औसत से 48 प्रतिशत कम बारिश (Rain) हुई है और धान की बुआई का प्रतिशत अब तक महज 5.81 है. दलहन, तिलहन, मोटा अनाज और अन्य फसलों की खेती भी कमजोर पड़ गई है. हाल ये है कि राज्य के 24 में से 16 जिलों में धान की खेती की अभी कायदे से शुरुआत भी नहीं हुई है. जहां किसानों ने खेतों में बीज डाल दिए हैं, वहां भी बिचड़े सूख रहे हैं.

कम हुई बारिश सबसे खराब हालत साहिबगंज, पाकुड़, चतरा, पलामू, गढ़वा, रांची, हजारीबाग, रामगढ़, धनबाद, बोकारो, देवघर, जामताड़ा और गोड्डा जिले की है और आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं. साहिबगंज में औसत से 80 फीसदी कम बारिश हुई है. चतरा में औसत से 73 फीसदी, पाकुड़ में 72, गढ़वा में 69, गोड्डा में 66, पलामू में 62, रामगढ़ में 58 और हजारीबाग में 56 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. 

रणनीति बनाने में जुटा है कृषि विभागमौसम विभाग के अनुसार राज्य में औसत रूप से जुलाई मध्य तक 316.7 मिमी वर्षा होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक मात्र 164.3 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है. कम बारिश से उपजे संकट को लेकर कृषि विभाग में उच्च स्तर पर बैठकें शुरू हो गई हैं. विभाग रणनीति बनाने में जुटा है कि बारिश की कम मात्रा को देखते हुए किस तरह के वैकल्पिक फसलों की तैयारी के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाए.

हालात की समीक्षा की गईकृषि निदेशक निशा उरांव ने कहा कि सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में हालात की समीक्षा की गई है. हम किसानों तक संदेश पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं कि छोटी अवधि में फसल देने वाले बीज लगाएं. कम बारिश को देखते हुए अंजलि, ललाट, वंदना, बिरसा सुगंधा आदि किस्म के धान बीज लगाना उचित होगा.

बरिश हुई तो होगी भरपाईकृषि विभाग के संयुक्त निदेशक मुकेश सिन्हा का कहना है कि आगामी 15 दिनों के भीतर अच्छी बारिश हुई तो नुकसान की काफी हद तक भरपाई हो जाएगी. 28 जुलाई के बाद सरकार किसानों के लिए फसल परामर्श को लेकर सर्कुलर जारी कर सकती है. कृषि विभाग के आंकड़े के मुताबिक राज्य में 1800 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित है, लेकिन 15 जुलाई की तारीख तक मात्र 104 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई हो पाई है. राज्य के 6 प्रमंडलों में से उत्तरी छोटा नागपुर और पलामू प्रमंडल में धान की बुआई का प्रतिशत लगभग शून्य है. राज्य में धान सहित सभी तरह की खरीफ फसलों की खेती 2827 हेक्टेयर में किए जाने का लक्ष्य निर्धारित है, लेकिन अब तक मात्र 342 हेक्टेयर क्षेत्र में ही खेती की शुरुआत हो पाई है. ये लगभग 12 प्रतिशत है. 

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