झारखंड सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कई बार इन दावों की पोल खोल देती है. ताजा मामला चाईबासा से सामने आया है. जहां एक आदिवासी पिता को अपने चार साल के बेटे का शव घर ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिली. मजबूरी में पिता ने मासूम बच्चे के शव को एक थैले में रखकर अस्पताल से अपने गांव तक का सफर तय किया.
घटना चाईबासा सदर अस्पताल की है. नोवामुण्डी प्रखंड के बालजोड़ी गांव निवासी डिम्बा चातोम्बा अपने चार वर्षीय बेटे को इलाज के लिए दो दिन पहले सदर अस्पताल लेकर आए थे. बच्चे की तबीयत गंभीर थी और उसका इलाज अस्पताल में चल रहा था. लेकिन शुक्रवार (19 दिसंबर) को इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई. जिससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.
एंबुलेंस नहीं मिली तो थैले में शव लेकर घर पहुंचा पिता
मृत बच्चे के पिता डिम्बा चातोम्बा ने बताया कि बेटे की मौत के बाद उन्होंने अस्पताल प्रशासन से एंबुलेंस उपलब्ध कराने की गुहार लगाई. ताकि शव को गांव तक ले जाया जा सके. उन्होंने घंटों तक अस्पताल परिसर में एंबुलेंस का इंतजार किया और उसके बाद भी कोई मदद नहीं मिली. डिम्बा के पास न तो निजी वाहन की व्यवस्था थी और न ही इतने पैसे कि वह किसी अन्य साधन से शव को घर पहुंचा सके.
अस्पताल के सिस्टम से हार गया मृत बच्चे का पिता
सरकार और अस्पताल के सिस्टम से हार मानकर मजबूरी में मृत बच्चे के पिता डिम्बा चातोम्बा ने अपने चार वर्षीय बेटे के शव को एक झोले में रखा और चाईबासा सदर अस्पताल से नोवामुण्डी प्रखंड के बालजोड़ी गांव तक अकेले लेकर चले आए.
ग्रामीणों ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठाएं गंभीर सवाल
जानकारी के अनुसार, गांव में डिम्बा चातोम्बा जब बच्चे का शव लेकर आ रहा था तो यह दृश्य जिसने भी देखा और उसका दिल दहल गया. लोगों को जब इस घटना की जानकारी मिली तो वे स्तब्ध रह गए और राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे.
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