Jharkhand: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2002 में गुजरात के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान ब‍िलक‍िस बानो के साथ गैंगरेप और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में बड़ा आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के सजा माफी के आदेश को रद्द कर दिया. इस पर हर तरफ से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. अब झारखंड मुक्ति मोर्चा की राज्यसभा सांसद महुआ माजी का बयान आया है. उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से पता चलता है कि अमृत काल के दौरान सत्ता का किस तरह दुरुपयोग किया गया है. 


महुआ माजी ने बीजेपी की केंद्र और गुजरात सरकर पर निशासा साधते हुए कहा, "महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं में बढ़ोतरी के पीछे एक बड़ा कारण यह है कि सत्ता पक्ष के कुछ लोग अपराधियों के मनोबल को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं. बीजेपी की सरकार महिला सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें करती हैं, लेकिन धरातल पर न्याय करना हो तो फिसड्डी साबित होती है. बिलकिस बानो मामला इसका उदाहरण है. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से पता चलता है कि अमृत महोत्सव के दौरान सत्ता का किस तरह दुरुपयोग किया गया है."



सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले पर क्या कहा?


बता दें कि ब‍िलक‍िस बानो में मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने अपने फैसले में कहा, "हमारा मानना है कि गुजरात सरकार के पास छूट के लिए आवेदन पर विचार करने या उत्तरदाताओं (दोषियों) को छूट देने का कोई अधिकार नहीं था." सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो की ओर से गैंगरेप और अपने परिवार के सदस्यों की हत्या के दोषी 11 लोगों की समयपूर्व रिहाई के खिलाफ दायर याचिका सुनवाई योग्य है.


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