जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला समेत पूरी कैबिनेट को उम्मीद थी कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दे देंगे. हालांकि, ऐसा कुछ हुआ नहीं. ऐसे में अब सीएम उमर अब्दुल्ला ने निराशा जाहिर की है. उन्होंने ध्वजारोहण के दौरान कहा कि हम सबका इंतजार, इंतजार बनकर ही रह गया. ऐसे में अब नेशनल कांफ्रेंस की सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है.

उमर अब्दुल्ला ने ऐलान किया है कि अब वह सिग्नेचर कैंपेन की शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसमें वह जनता के हस्ताक्षर लेने के बाद केंद्र के सामने लोगों की मांग रखेंगे. सीएम अब्दुल्ला ने कहा, "अब वक्त आ गया है कि हमको दफ्तरों से बाहर आकर हर गांव से एक नए अभियान की शुरुआत करनी है, जम्मू कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य की लड़ाई होगी. अगले 8 हफ्ते में हम सभी विधानसभा में सिग्नेचर कैंपेन चलाकर केंद्र के सामने लोगों की मांग रखेंगे."

'समर्थन न करने वालों को यहां रहने का हक नहीं'- उमर अब्दुल्लाइसी के साथ उन्होंने जनता को चेतावनी भी दे दी. उमर अब्दुल्ला ने कहा, "अगर हस्ताक्षर अभियान में 90 परसेंट लोगों ने जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस देने का समर्थन नहीं किया तो फिर यहां रहने का कोई हक नहीं होगा."

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, "हमने सोचा था कि केंद्र के साथ अच्छे रिश्ते और लोकतंत्र के साथ रहकर ही फायदा होगा. इस फैसले के लिए मुझे राजनीतिक नुकसान भी उठाना पड़ा था. लेकिन अब वक्त आ गया है सही कदम उठाने का."

'क्या आतंकी करेंगे पूर्ण राज्य का फैसला?'- उमर अब्दुल्लामुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, "क्या पहलगाम के आतंकी या फिर हमारा पड़ोसी मुल्क यह फैसला करेगा कि जम्मू-कश्मीर कब पूर्ण राज्य बनेगा? हमने हमला नहीं किया. ऑपरेशन सिंदूर में सेना के दोषी को सज़ा दी लेकिन हमले के नाम पर हमें पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा रहा.जब जम्मू कश्मीर पूर्ण राज्य था, हर साल आतंकी हमले कम हो रहे थे. आज हम को बोला जाता है कि जम्मू कश्मीर की चुनी हुई सरकार सुरक्षा नहीं कर सकती."

'जम्मू कश्मीर की क्या गलती है'- उमर अब्दुल्लाउमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि अब किसी को केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहिए, मैं तो यही कहता हूं. यह सिस्टम कामयाबी के लिए नहीं, नाकामयाबी के लिए तैयार किया गया है. हम आज दिल्ली में एक बड़े ऐलान का इंतज़ार कर रहे थे, लेकिन हम इंतजार ही करते रह गए. जम्मू कश्मीर को देश के बाकी राज्यों के बराबर करने का वादा किया गया था, लेकिन क्या हम आज बराबर हैं? अगर नहीं, तो इसमें हमारी क्या गलती है?