जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य का दर्जा बहाल करने की अपनी मांग रखते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगे और स्टेटहुड बहाल करने की पेशकश होने पर भी बीजेपी के साथ कभी गठबंधन नहीं करेंगे. सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि वह इस मुद्दे पर बीजेपी के साथ गठबंधन करने के बजाय मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना और कुर्सी छोड़ना पसंद करेंगे. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार का संघर्ष लोकतांत्रिक मूल्यों और अहिंसा पर आधारित रहेगा.

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अनंतनाग में एक सभा को संबोधित करते हुए CM ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से सवाल पूछा, ''क्या रिसासत हासिल करने के लिए आप वो सौदा करने के लिए तैयार हैं? अगर आप तैयार हो तो मुझे बताओ. क्योंकि मैं वो सौदा करने के लिए तैयार नहीं हूं. किसी को हुकूमत में शामिल करना जरूरी है तो मेहरबानी करके मेरा इस्तीफा आप लोग कबूल कर लीजिए और यहां किसी और एमएलए को आप मुख्यमंत्री बना के बीजेपी के साथ हुकूमत बनाओ. मैं बनाने के लिए तैयार नहीं हूं.'' 

'बीजेपी से गठबंधन का विकल्प था लेकिन नहीं चुना'

उन्होंने याद दिलाया कि पिछले विधानसभा चुनावों के बाद, उनके पास भी बीजेपी के साथ गठबंधन करने का विकल्प था. जैसे मुफ़्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ़्ती ने 2015 और 2016 में किया था, मैं बीजेपी के साथ सरकार बनाने का विकल्प चुन सकता था. बीजेपी के साथ सरकार बनाने पर शायद राज्य का दर्जा जल्दी मिल जाता, लेकिन मैंने दूसरा रास्ता चुना, ताकि बीजेपी को जम्मू-कश्मीर की सत्ता से दूर रखा जा सके.'' 

'मैं नहीं चाहता कि कश्मीरी परिवार फिर से शोक में डूबे'

राज्य के दर्जे की मांग को लेकर उठ रहे विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देते हुए, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लद्दाख से तुलना की. उन्होंने कहा, "लद्दाख में जब लोग बाहर निकले, तो एक घंटे के अंदर गोलीबारी शुरू हो गई. यहां कश्मीर में, वे इतना भी इंतजार नहीं करेंगे. दस मिनट के अंदर गोलियों की बौछार हो जाएगी. मैं नहीं चाहता कि कश्मीरी परिवार फिर से शोक में डूब जाएं. हम लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.''