पहलगाम हमले ने देश के लोगों को झकझोर कर रख दिया. सभी इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. इस बीच एक ऐसे भी शख्स की प्रतिक्रिया सामने आई है जिन्होंने कभी 'आतंक' का रास्ता अपना लिया था और बंदूक उठा ली थी. मोहम्मद कालू अब मदरसा चलते हैं. पहलगाम आतंकी हमले पर उन्होंने कहा कि इस घटना ने दिल को बहुत चोट पहुंचाई है.
'सरकार हर तरीके से हमारे साथ है'
न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में अपने अतीत पर उन्होंने कहा, "गलती तो हर इंसान से होती है. लेकिन 2004 में सब छोड़कर एक शहरी की जिंदगी शुरू की. अब आम लोगों के बीच रह रहा हूं. अब आराम की जिंदगी जी रहा हूं. सरकार हर तरीके से हमारे साथ है."
'इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाए'
पहलगाम हमले पर उन्होंने कहा कि हम इसकी सख्त लहजे में निंदा करते हैं. मोहम्मद कालू ने कहा, "ये दरिंदगी का काम इन्होंने जो किया है, ये अच्छा नहीं किया है. हम सरकार से अपील करते हैं कि इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाए. ताकि आगे से ऐसा न करें. किसी की चार महीने पहले शादी हुई, किसी की तीन महीने पहले शादी हुई. वो घूमने आए थे. किसी का क्या बिगड़ा था. कश्मीर देखने के लिए आए थे. हमारे मेहमानों को खून से लिपटकर जाना पड़ा. ये सुनकर बहुत अफसोस होता है."
'पानी बंद किया तो सांस बंद हो रही है'
आतंकियों ने पर्यटकों से कलमा पढ़ने को कहा. इस पर मोहम्मद कालू ने कहा, "इन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यहां हिंदू-मुस्लिम में जंग हो जाएगी और पाकिस्तान बैठकर तमाशा देखेगा. लेकिन यहां की पब्लिक ऐसी बेवकूफ नहीं है. उनके मुंह पर तमाचा लग चुका है और लगेगा भी. ऐसा किसी मुल्क का संविधान नहीं है जैसा हमारे देश का है. चाहे दाढ़ी रखे या चोटी लगाएं, जो मर्जी करें, इसमें अपनी आजादी है. उनकी तरह तो नहीं हैं. भूख से मर रहे हैं. पानी बंद किया तो सांस बंद हो रही है. उनको शर्म नहीं आई यहां पर आकर हमारे मेहमानों को मारा.
'जम्मू-कश्मीर से पत्थरबाजी खत्म हो गई थी'
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कई ऐसे मुसलमान भी हैं जिन्हें नहीं पता कि कलमा क्या है. आतंकी हमले पर उन्होंन कहा, "मैंने अपनी जिंदगी में नहीं देखा कि पर्यटकों के साथ ऐसी घटना हुई हो. जम्मू-कश्मीर में मिलिटेंसी और पत्थरबाजी खत्म हो गई थी. बड़ी आराम की जिंदगियां हम लोग गुजार रहे थे. ये जो हुआ है उसने दिल को चोट दी है."