संसद का मानसून सत्र सोमवार (21 जुलाई) से शुरू हो गया. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखा है. इसमें पीडीपी प्रमुख ने उनसे संसद सत्र में बिहार में मुस्लिम उत्पीड़न और मतदाता सूची सर्वेक्षण के बढ़ते मुद्दों को उठाने का आग्रह किया है.

अपने पत्र में महबूबा ने पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और अन्य सुरक्षा मामलों जैसे प्रमुख मुद्दों का ज़िक्र किया, जिनके इस सत्र में छाए रहने की उम्मीद है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी, खासकर कांग्रेस से अनुरोध किया कि वह यह सुनिश्चित करे कि राष्ट्रीय चर्चाओं में मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को नजरअंदाज न किया जाए.

महबूबा मुफ्ती ने मुसलमानों को लेकर जताई चिंता

पीडीपी चीफ ने 'बांग्लादेशियों' और 'रोहिंग्याओं' की पहचान के नाम पर मुसलमानों के साथ हो रहे व्यवहार पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि उन्हें निराशाजनक परिस्थितियों में धकेला जा रहा है. मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि कुछ मुसलमानों को भारत से निकालने के प्रयास में समुद्र में भी धकेला गया.

बिहार में मतदाता सर्वेक्षण का जिक्र

राहुल गांधी के हालिया असम दौरे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ''वहां बड़े पैमाने पर मुसलमानों के घरों को तोड़ा जाना बेहद चिंताजनक है. उन्होंने बिहार में चल रहे सर्वेक्षण पर भी चिंता जताई और कहा, ''यह मुसलमानों को बेदखल, शक्तिहीन और अधिकारहीन करने का एक और प्रयास प्रतीत होता है.'' 

महबूबा मुफ्ती ने राहुल गांधी को क्या याद दिलाया?

महबूबा ने राहुल गांधी को याद दिलाया कि विभाजन के दौरान भारत में रहने वाले मुसलमान ऐसा इसलिए रहे क्योंकि उन्हें महात्मा गांधी से लेकर जवाहरलाल नेहरू तक, कांग्रेस पार्टी के धर्मनिरपेक्ष नेतृत्व पर भरोसा था. उन्होंने लिखा कि अब उस विरासत की रक्षा की जिम्मेदारी राहुल गांधी पर है.

उन्होंने बताया, ''जब पाकिस्तान या बांग्लादेश जैसे देशों में हिंदुओं को निशाना बनाया जाता है, तो भारत सरकार कड़ी प्रतिक्रिया देती है लेकिन जब भारत के भीतर मुसलमानों को निशाना बनाया जाता है, तो डर के मारे चुप्पी साध ली जाती है.''

कई बार मैं खुद को असहाय महसूस करती हूं- महबूबा मुफ्ती

भारतीय संघ में शामिल होने का विकल्प चुनने वाले कुछ मुस्लिम-बहुल क्षेत्रों में से एक की नेता होने के नाते, महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वह कई बार खुद को असहाय महसूस करती हैं. उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व में आशा जताई और उनसे उस समुदाय के लिए आवाज उठाने का आग्रह किया जिसे समाज के हाशिये पर धकेला जा रहा है.