दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार (11 दिसंबर) को जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत दे दी. इसे लेकर अब पीडीपी प्रमुख महबूबा ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हैरान करने वाली बात है कि उमर खालिद को बहन की शादी में शामिल होने के लिए 13 दिन की पैरोल के लिए 5 साल इंतजार करना पड़ा. उन्होंने गुरमीत सिंह (डेरा सच्चा सौदा चीफ) जैसे रेप के दोषी को बार-बार पैरोल मिलने का भी जिक्र किया और भेदभाव का आरोप लगाया.

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न्याय सिस्टम में भेदभाव- महबूबा मुफ्ती

पीडीपी प्रमुख महबूबा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''यह दुखद और हैरान करने वाली बात है कि उमर खालिद को अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए 13 दिन की पैरोल पाने के लिए पांच साल इंतज़ार करना पड़ा, जबकि गुरमीत सिंह जैसे रेप और मर्डर के दोषी बार-बार पैरोल पर अंदर-बाहर आते-जाते रहते हैं. यह फर्क साफ दिखता है. यह असमानता हमारे न्याय सिस्टम में एक परेशान करने वाली गड़बड़ी और भेदभाव को दिखाती है.''

उमर खालिद को 16-29 दिसंबर तक अंतरिम जमानत

जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को दिल्ली की एक कोर्ट से अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए 16 से 29 दिसंबर तक की अंतरिम जमानत मिली है. एडिशनल सेशन जज समीर बाजपेयी ने खालिद को अंतरिम राहत दी है. खालिद 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश से संबंधित मामले में आरोपी है.

खालिद को इन शर्तों का करना होगा पालन?

जज ने आरोपी को 20,000 रुपये के निजी जमानती बॉण्ड और इतनी ही राशि के दो मुचलके पेश करने का निर्देश दिया है. साथ ही अदालत ने कहा, ‘‘अंतरिम जमानत अवधि के दौरान, आवेदक (खालिद) सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेगा. वो सिर्फ अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों से ही मिलेगा. 

कोर्ट ने आगे कहा, ''खालिद को ‘‘अपने घर पर या उन स्थानों पर रहना होगा जहां उनके द्वारा बताए गए विवाह समारोह आयोजित किए जाएंगे’’. अदालत ने खालिद को 29 दिसंबर की शाम को जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. पिछले साल उसे एक और शादी में शामिल होने के लिए सात दिनों की अंतरिम जमानत दी गई थी. उसे 2022 में भी इसी तरह की राहत दी गई थी.