जम्मू-कश्मीर में उर्दू भाषा पर सियासी हंगामा खड़ा हो गया है. नायब तहसीलदार के पद के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में उर्दू के ज्ञान के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री अनिवार्य की गई थी. हालांकि बाद में इसपर रोक लगा दी गई.

अब इसको लेकर पीडीपी की प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी को निशाने पर लिया है. उन्होंने एक्स पर बुधवार (16 जुलाई) को कहा, ''यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी न्यायपालिका पर अब विभाजनकारी राजनीति का असर होता दिख रहा है. उर्दू दशकों से एक मान्यता प्राप्त सरकारी भाषा रही है, उसे अब गलत तरीके से सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है.''

उर्दू भाषा का सामान्य ज्ञान जरूरी- महबूबा मुफ्ती

महबूबा मुफ्ती ने कहा, ''हमारे राजस्व रिकॉर्ड और प्रशासनिक काम आज भी उर्दू में होते हैं. ऐसे में नायब तहसीलदार के पद के लिए उर्दू भाषा का सामान्य ज्ञान होना बिल्कुल स्वाभाविक और जरूरी है. यह शर्त केवल प्रशासनिक सुविधा के लिए रखी गई है, इसका किसी भी तरह से सांप्रदायिकता से कोई लेना-देना नहीं है.''

भर्ती प्रक्रिया स्थगित

जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (जेकेएसएसबी) ने मंगलवार को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की तरफ से एक दिन पहले जारी आदेश का हवाला देते हुए राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर दी.

कैट की दो सदस्यीय पीठ ने जम्मू कश्मीर राजस्व (अधीनस्थ) सेवा भर्ती नियम 2009 के प्रावधानों पर रोक लगा दी है. कैट ने जेकेएसएसबी को नायब तहसीलदार के पद के लिए उन उम्मीदवारों से आवेदन स्वीकार करने का निर्देश दिया, जिनके पास जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा अधिनियम, 2020 में पांच आधिकारिक भाषाओं में से किसी एक के ज्ञान के साथ स्नातक की डिग्री है.

जेकेएसएसबी ने क्या कहा?

इन आधिकारिक भाषाओं में हिंदी, कश्मीरी, अंग्रेजी, डोगरी और उर्दू शामिल हैं. इस फैसले के बाद जेकेएसएसबी ने भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर दी.

जेकेएसएसबी ने एक नोटिस में कहा, ‘‘इसके द्वारा यह सूचित किया जाता है कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण जम्मू द्वारा पारित अंतरिम निर्देश के मद्देनजर... नायब तहसीलदार के पद के लिए आवेदन आमंत्रित करने की प्रक्रिया (नौ जून को जारी) को अगली सूचना/आदेश तक स्थगित कर दिया गया है.’’