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जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पर्यटन उद्योग को लेकर एक बड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने बुधवार को कहा कि यदि कश्मीर के पहाड़ों पर बर्फ ही नहीं रहेगी, तो सरकार और टूर ऑपरेटर्स चाहकर भी गुलमर्ग जैसे विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों को प्रमोट नहीं कर पाएंगे. मुख्यमंत्री श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (SKICC) में 'एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया' (ATOAI) के 17वें वार्षिक कन्वेंशन को संबोधित कर रहे थे.

देश भर से आए पर्यटन विशेषज्ञों और कारोबारियों को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की टूरिज्म इंडस्ट्री ने दशकों तक राजनीतिक और सुरक्षा चुनौतियों का डटकर सामना किया है, लेकिन अब 'क्लाइमेट चेंज' (जलवायु परिवर्तन) सबसे घातक प्रहार कर रहा है.

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उन्होंने कहा, "सच्चाई यह है कि अब हम इस खतरे को नजरअंदाज नहीं कर सकते. हमारे ग्लेशियर तेजी से पीछे हट रहे हैं और बर्फबारी की मात्रा लगातार कम हो रही है. यह एक ऐसी वास्तविकता है जिसका सामना हमें आज नहीं तो कल करना ही होगा."

तकनीक और सस्टेनेबल टूरिज्म पर जोर

मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि बदलते मौसम को देखते हुए अब हमें नई तकनीकों की ओर रुख करना चाहिए. उन्होंने स्कीइंग और अन्य शीतकालीन खेलों को चालू रखने के लिए 'आर्टिफिशियल स्नो' (कृत्रिम बर्फ) बनाने की तकनीक को अपनाने की बात कही. साथ ही, उन्होंने जम्मू-कश्मीर को केवल सर्दियों का केंद्र न मानकर, साल भर का 'एडवेंचर डेस्टिनेशन' बनाने की अपील की. इसके लिए उन्होंने पैराग्लाइडिंग और हॉट-एयर बैलूनिंग जैसे नए विकल्पों को जोड़ने पर जोर दिया.

सुरक्षा और सरकार की प्रतिबद्धता

हाल के दिनों में हुई हिंसक घटनाओं और मौसम की मार का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि पहलगाम हमले और दिल्ली ब्लास्ट जैसी घटनाओं ने ट्रैवल फ्लो को प्रभावित किया है. उन्होंने माना कि पर्यटन क्षेत्र के लिए ऐसे झटकों से उबरना काफी मुश्किल होता है. हालांकि, उन्होंने भरोसा दिलाया कि जम्मू-कश्मीर सरकार टूर ऑपरेटरों की मदद करने और पर्यटकों को एक सुरक्षित और सस्टेनेबल अनुभव प्रदान करने के लिए पूरी तरह समर्पित है.

अंत में, उन्होंने एडवेंचर को एक "विनम्र भावना" बताया और कहा कि चोटी पर पहुंचने का अहसास केवल एवरेस्ट फतह करने से नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ जुड़ने और छोटे साहसिक कार्यों से भी मिलता है.