जम्मू और कश्मीर में पिछले 3 सालों में कुत्ते के काटने के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है, जिसमें पूरे UT में 2.12 लाख से ज्यादा कुत्ते के काटने के मामले सामने आए हैं. इसका मतलब है कि पिछले तीन सालों में हर दिन लगभग 150 कुत्ते के काटने के मामले हुए हैं, जिससे हेल्थकेयर सिस्टम पर बहुत ज़्यादा बोझ पड़ा है.

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उपलब्ध डेटा के अनुसार, पिछले तीन सालों में जम्मू क्षेत्र और कश्मीर घाटी दोनों में कुत्ते के काटने के बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं. J-K सरकार ने असेंबली को बताया कि इसके बावजूद कि केंद्र शासित प्रदेश में आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए एक बड़ा अभियान चलाया गया है.

क्या है सरकार का कहना?

नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के MLA मुबारिक गुल के एक सवाल के जवाब में, सरकार ने कहा कि 2022 से केंद्र शासित प्रदेश में कुत्ते के काटने के 2,12,968 मामले दर्ज किए गए हैं. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जिनके पास आवास और शहरी विकास विभाग भी है, ने असेंबली में लिखित जवाब में कहा कि जम्मू डिवीजन से 98,470 मामले सामने आए, जबकि कश्मीर डिवीजन में 1,14,498 मामले दर्ज किए गए.

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सरकार द्वारा शेयर किए गए डेटा के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि के दौरान जम्मू जिले में सबसे ज्यादा 54,889 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद श्रीनगर शहर में 36,406 मामले दर्ज किए गए. दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिला 26,453 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर रहा, इसके बाद उत्तरी कश्मीर में बारामूला 18,563 मामलों के साथ चौथे स्थान पर रहा.

सरकार ने कहा कि दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में पिछले तीन सालों में कुत्ते के काटने के सबसे कम मामले - 1,357 - दर्ज किए गए. सरकार ने कहा कि आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया गया है.

2023 से अबतक 48,998 आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण- CM

अब्दुल्ला ने कहा कि जून 2023 से सितंबर 2025 तक 48,998 आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया गया. श्रीनगर नगर निगम (SMC) 27,237 नसबंदी और टीकाकरण के साथ सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद जम्मू नगर निगम (JMC) 13,730 के साथ दूसरे स्थान पर है.

सरकार ने कहा कि जम्मू क्षेत्र के अन्य जिलों की नगर समितियों ने 7,870 नसबंदी और टीकाकरण किए. मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीनगर में दो एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर हैं और तीसरा सेंटर बनाया जा रहा है, जबकि डायरेक्टोरेट ऑफ़ अर्बन लोकल बॉडीज़, कश्मीर, कश्मीर डिवीजन के बाकी नौ जिलों में भी ऐसे सेंटर बनाने की प्रोसेस में है, जिसके लिए डिप्टी कमिश्नरों के साथ ज़मीन की पहचान का काम शुरू कर दिया गया है.

सरकार ने बताया कि पहले फेज़ में, बारामूला, कुलगाम और सुंबल में तीन क्लस्टर के लिए ज़मीन/बिल्डिंग पहले ही पहचान ली गई है ताकि ये सेंटर बनाए जा सकें.