जैश-ए-मोहम्मद के “व्हाइट कॉलर” डॉक्टर मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने घाटी में गैर-कानूनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक बड़ा सिक्योरिटी कैंपेन शुरू कर दिया है. इस अभियान के दायरे में अब अस्पतालों, हेल्थ इंस्टीट्यूशंस, कार डीलरों और फर्टिलाइजर हार्डवेयर डीलरों की तलाशी के बाद धार्मिक संस्थान, इमाम और धार्मिक ट्रस्ट भी शामिल हो गए हैं.

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धार्मिक ट्रस्टों पर पहली बार बड़ी कार्रवाई

इस तरह के पहले ऑपरेशन में J&K पुलिस ने बारामूला में दो धार्मिक ट्रस्टों अल हुदा और सल्फिया एजुकेशनल ट्रस्ट के ठिकानों पर छापे मारे और उनके खिलाफ कथित गैर-कानूनी गतिविधियों, टैक्स चोरी और फॉरेन कंट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट यानी FCRA के तहत जांच शुरू की.

पुलिस के मुताबिक, एक ट्रस्ट के खिलाफ FCRA में केस दर्ज किया गया है, जबकि दूसरे इंस्टिट्यूशन पर गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत केस दर्ज हुआ है.

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बारामूला पुलिस ने अपने X हैंडल पर लिखा, "बारामूला पुलिस ने टैक्स चोरी/FCRA में गड़बड़ियों और जमीन के मामलों को लेकर बारामूला में अल हुदा और सल्फिया एजुकेशनल ट्रस्ट की जांच शुरू की है. जांच जारी है."

कथित गैर-कानूनी गतिविधियों की सूचना के बाद FIR दर्ज

अधिकारियों के मुताबिक यह कार्रवाई तब शुरू हुई जब पुलिस को इदाराह फल्लाह-उ-दारैन (बारामूला) नाम की एक स्थानीय एसोसिएशन की कथित गैर-कानूनी गतिविधियों की जानकारी मिली. इसके बाद बारामूला पुलिस स्टेशन में FIR नंबर 208/2025 दर्ज किया गया.

जांच के दौरान एसोसिएशन से जुड़ी जगहों, संपत्तियों और दस्तावेजों पर कई समन्वित छापे पड़े. संगठन से जुड़े कई लोगों से पूछताछ भी की गई है. अधिकारियों ने बताया कि जांच अभी जारी है और आगे की कार्रवाई पूरी तरह सबूतों और जांच के नतीजों पर निर्भर करेगी.

तंगमर्ग में अल हुदा इंस्टीट्यूट की अलग जांच

दूसरी तरफ, तंगमर्ग में स्थित अल हुदा एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के फाइनेंशियल और ऑपरेशनल कामकाज की प्रारंभिक जांच भी शुरू हो गई है. यह जांच उस समय शुरू की गई जब जमीन के उपयोग और रेगुलेटरी नियमों के उल्लंघन की खबरें सामने आईं.

अधिकारियों के मुताबिक, फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट यानी FCRA से जुड़ी संभावित अनियमितताओं की सूचना मिलने के बाद यह कार्रवाई की गई. यह केस DDR नंबर 9 (24 नवंबर 2025) के तहत तंगमर्ग पुलिस स्टेशन में दर्ज है.

सरकारी जमीन के दुरुपयोग का भी शक

पुलिस सूत्रों ने बताया कि जांच का एक बड़ा पहलू यह है कि दोनों संस्थान कथित तौर पर सरकारी जमीन पर बिना जरूरी कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी किए बनाए गए हो सकते हैं. अधिकारियों की टीमें अब जमीन के कागजात, मालिकाना हक, निर्माण की अनुमति और संबंधित विभागों से मंजूरी से जुड़े दस्तावेज जुटा रही हैं.

इमामों का फिजिकल वेरिफिकेशन शुरू

छापेमारी के साथ-साथ J&K पुलिस ने कश्मीर घाटी की सभी रजिस्टर्ड मस्जिदों में तैनात इमामों का फिजिकल पहचान वेरिफिकेशन भी शुरू कर दिया है. लोकल मस्जिद एडमिनिस्ट्रेशन को निर्देश दिया गया है कि वह इमाम वेरिफिकेशन जल्द से जल्द पूरा करे.

एक अधिकारी ने कहा, "वेरिफिकेशन किराए के घरों में रहने वाले किरायेदारों की तरह ही होता है और यह कोई नई बात नहीं है. लेकिन, क्योंकि लोकल मस्जिदों में ज़्यादातर इमाम या तो दूसरे इलाकों से हैं या बाहर के हैं, इसलिए वेरिफिकेशन जरूरी है."

सामान्य नागरिकों को डरने की जरूरत नहीं- पुलिस

अधिकारियों के अनुसार, वेरिफिकेशन और पूछताछ अभी शुरुआती चरण में हैं. आगे का फैसला इन वेरिफिकेशंस के नतीजों पर आधारित होगा. अधिकारी ने भरोसा दिलाया कि कानून मानने वाले नागरिकों को डरने की जरूरत नहीं है.