चुनाव आयोग ने सोमवार (27 अक्टूबर) को विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसआईआर) के दूसरे चरण का ऐलान कर दिया है. वहीं अब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एसआईआर को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग को देशभर में मतदाता सूची का एसआईआर करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव खत्म होने का इंतजार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि एसआईआर चुनाव आयोग की छवि को दांव पर लगा देगा.
सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि बिहार में एसआईआर को लेकर पहले से ही आशंकाएं हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस अभ्यास को करने वालों को इसका कोई लाभ होगा या नहीं. उन्होंने कहा, "बिहार में चुनाव पूरा होने दीजिए, फिर हम देखेंगे कि क्या इससे कोई फायदा हुआ. फिर हम इसे देश के बाकी हिस्सों में लागू करने के बारे में बात कर सकते हैं."
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चुनाव आयोग को सलाह दी, "देशव्यापी एसआईआर में जल्दबाजी न करें, अन्यथा ऐसा लगेगा मानो ईसीआई ने अपनी स्वतंत्रता खो दी है और एक विशेष राजनीतिक दल के दबाव में काम कर रहा है. हमने इसे पहले भी देखा है."
'चुनाव आयोग की छवि को दांव पर लगा देगा SIR'
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद परिसीमन और अन्य मुद्दों पर ईसीआई पर पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि एसआईआर ईसीआई की छवि को भी दांव पर लगा देगा.
'एक दल के लिए किया गया परिसीमन'
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में परिसीमन लोगों के फायदे के लिए नहीं बल्कि एक राजनीतिक दल के लिए किया गया था. जिस तरह से नई सीटों का बंटवारा किया गया और नई सीटें बनाई गईं, इससे सीधे तौर पर केवल एक राजनीतिक दल को फायदा हुआ. चुनाव आयोग को इस तरह की गलती नहीं करनी चाहिए."