जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक दिलचस्प मोड़ आया है. कट्टर राजनीतिक विरोधी माने जाने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के बीच संभावित समझौते के संकेत मिल रहे हैं. इस बीच मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने साफ कहा है कि उनकी सरकार जनता के हित में आने वाले किसी भी विधेयक को नहीं रोकेगी.

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दरअसल, यह बयान तब आया जब पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राज्यसभा चुनावों में अपने दल के समर्थन को विधानसभा में निजी विधेयकों के समर्थन से जोड़ने की बात कही थी. इसके कुछ ही घंटे बाद, उमर अब्दुल्ला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया कि विधेयक को सदन में पेश करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष का होता है, लेकिन उनकी पार्टी किसी भी जनहितैषी कानून का विरोध नहीं करेगी.

हम किसी भी कानून के रास्ते में नहीं बनेंगे बाधा - उमर अब्दुल्ला

मीडिया से बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैं ऐसे किसी विधेयक पर टिप्पणी नहीं करूंगा जो अभी तक सदन में पेश नहीं हुआ है. जब तक कोई विधेयक सदन की संपत्ति नहीं बनता, वह अध्यक्ष की संपत्ति होता है. कौन सा विधेयक सूचीबद्ध होगा, यह अध्यक्ष तय करते हैं.

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उन्होंने आगे कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के सहयोगी सदस्य भी कई निजी विधेयक लेकर आते हैं, इसलिए यह स्वाभाविक प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि अगर कोई विधेयक जनता के हित में है, तो हमें उसका समर्थन करने में कोई आपत्ति नहीं होगी. हम किसी भी कानून के रास्ते में बाधा नहीं बनेंगे.

राज्य के विकास के लिए लगातार कर रहे हैं काम- उमर 

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार सभी विधेयकों पर विचार के लिए तैयार है और किसी भी प्रस्ताव को सीधे खारिज नहीं किया जाएगा. साथ ही कहा कि मैं अध्यक्ष की शक्तियों में हस्तक्षेप नहीं करूंगा. यदि कोई विधेयक सदन में आता है, तो हम उसका निष्पक्ष मूल्यांकन करेंगे.

इस दौरान, उमर अब्दुल्ला ने उन खबरों को भी खारिज किया जिनमें कहा गया था कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री की शक्तियों में बढ़ोतरी कर सकती है. उन्होंने कहा कि मुझे इस तरह के किसी कदम की जानकारी नहीं है. हमारी सरकार के पास पहले जैसी ही शक्तियां हैं और हम राज्य के विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं.

आरक्षण मुद्दे पर कैबिनेट की रिपोर्ट स्वीकार

उमर ने बताया कि सरकार जनता से किए गए वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. तीन हफ्ते पहले हमने दरबार मूव की बहाली पर कैबिनेट आदेश पारित किया था. उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद यह लागू होगा. इसी तरह, आरक्षण मुद्दे पर भी कैबिनेट उप-समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर ली गई है.

उमर अब्दुल्ला के इस बयान को जम्मू-कश्मीर की राजनीति में सॉफ्ट अंडरस्टैंडिंग के संकेत के रूप में देखा जा रहा है. जहां दोनों दल अब जनता के हितों को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं.