Jammu Kashmir Assembly Session: जम्मू कश्मीर विधानसभा में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अभिभाषण पर चर्चा चल रही है. गुरुवार को चर्चा में भाग लेते हुए सीपीआईएम के विधायक मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि अगर धारा 370 का मसला दफन हो गया है तो बार-बार क्यों उठाया जा रहा है. उन्होंने जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की भी सदन में मांग उठाई. तारिगामी ने कहा कि सुबह पता लगा कि विदेश मंत्री ने फिर एक बार धारा 370 का जिक्र किया. एक तरफ कहा जा रहा है कि मसला दफन हो गया है.

दूसरी तरफ मसले को बार-बार उठाया जा रहा है. उन्होंने बुधवार को विधानसभा में गद्दार बनाम शहीद के मुद्दे का जिक्र भी किया. सीपीआईएम विधायक ने शहीदों के बारे में की गई टिप्पणी को अस्वीकार्य बताया है. उन्होंने डोगरा स्टेट के इतिहास पर एक नजर डालने की अपील की. यूसुफ तारिगामी ने कहा, "जम्मू कश्मीर और लद्दाख का एक राज्य के तौर पर वजदू 1846 में आया.

हमारा हिस्सा था तो अलग क्यों किया गया?

रियासत वजूद में सब से बड़ा योगदान जनरल जोरावर सिंह का है. जोरावर सिंह की एक प्रतिमा जम्मू यूनिवर्सिटी में मौजूद है." उन्होंने कहा कि जनरल जोरावर सिंह ने लद्दाख के लिए जान दे दी. बीजेपी ने लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग कर दिया. उन्होंने कहा कि पाक अधिकृत हिस्से को वापस लाने की बात हो रही है. सीपीआईएम विधायक ने जानना चाहा कि जब हमारा हिस्सा था तो उसे अलग क्यों किया. 

मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने पूछा सवाल

उन्होंने पूछा कि संविधान के इतिहास में क्या कोई उदाहरण है जब किसी स्टेट को यूनियन टेरिटरी बनाया गया हो. उन्होंने कहा कि 2014 से 2017 तक बीजेपी पीडीपी की संयुक्त सरकार थी. मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि धारा 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को छोड़ दीजिए. उससे भी बड़ी अदालत है. तारिगामी ने मुख्यमंत्री की तरफ इशारा करते हुए कहा, "आप भी जानते हैं कि आप एक सिपाही को ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं. हमें खैरात में कुछ नहीं चाहिए. हम इज्जत से रहना चाहते हैं., संविधान की तरफ से मिले हक को बहाल कर दीजिए." 

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