नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक सूफी मकबरे की तोड़फोड़ की घटना की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे देश की धर्मनिरपेक्ष नींव को कमजोर करने और सांप्रदायिक नफरत फैलाने की साजिश बताया. अब्दुल्ला ने साफ कहा कि इस तरह की हरकत भारत की मूल भावना पर हमला है और दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए.
क्या है मामला?
सोमवार को फतेहपुर जिले में स्थित एक सूफी मकबरे को लेकर विवाद खड़ा हो गया. कुछ हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों ने दावा किया कि यह स्थल असल में मंदिर है और वहां उन्हें पूजा करने का अधिकार है. इसी दौरान माहौल गरमा गया और तोड़फोड़ की घटना सामने आई.
पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान और शांति भंग करने के आरोप में 150 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
सूफी दरगाहें हमारी साझा विरासत- फारूक अब्दुल्ला
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि किसी भी धर्म की जगह का अपमान गलत है, लेकिन सूफी दरगाह को निशाना बनाना और भी दुखद है. उन्होंने कहा कि सूफी दरगाहें और मकबरे वो जगहें हैं, जहां हर धर्म और जाति के लोग आते हैं. ये हमारी पुरानी साझी संस्कृति और विरासत की निशानी हैं.
सरकार से कड़े एक्शन लेने की मांग
अब्दुल्ला ने यूपी सरकार और केंद्र से मांग की कि दोषियों की पहचान कर उन्हें सख्त सजा दी जाए. उन्होंने कहा कि जो लोग नफरत फैलाते हैं, उनके साथ नरमी नहीं होनी चाहिए.
समाज से एकजुट होने की अपील
फारूक अब्दुल्ला ने सभी धार्मिक और सामुदायिक नेताओं से कहा कि वो मिलकर ऐसे कामों का विरोध करें और लोगों के बीच मोहब्बत और आपसी भरोसा बढ़ाने का काम करें.
उन्होंने कहा कि भारत की ताकत इसकी विविधता में है. हमें नफरत के खिलाफ खड़ा होना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी हमारे देश की आत्मा को चोट न पहुंचा सके.