Farooq Abdullah on Kashmiri Pandits: पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि कश्मीरी पंडितों के साथ हुई घटना पर आयोग का गठन करना चाहिए.
बजट सत्र के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित संसद पहुंचे लोकसभा सांसद ने कश्मीरी पंडितों पर पत्रकारों के सवालों पर कहा- "मुझे लगता है कि उन्हें (बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार) एक आयोग नियुक्त करना चाहिए और वह उन्हें बताएगा कि कौन जिम्मेदार है ... आप सच्चाई जानना चाहते हैं, आपको एक आयोग गठित करना चाहिए."
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के आरोपों पर कहा कि आरोप लगते रहते हैं. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर आयोग का गठन होता है सच्चाई सामने आएगी.
बीजेपी ने लगाया था यह आरोपदरअसल, भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने फारूक अब्दुल्ला द्वारा पेश किए गए जम्मू-कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति अधिनियम के दस्तावेज को शेयर करते हुए ट्वीट कर यह आरोप लगाया था कि उनके मुख्यमंत्री के कार्यकाल में ही कश्मीरी पंडितों का नरसंहार शुरू हो गया था.
अमित मालवीय ने ट्वीट कर लिखा , उमर ने दावा किया कि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला नरसंहार के लिए जिम्मेदार नहीं थे. यह झूठ था. यह फारूक अब्दुल्ला द्वारा पेश किया गया जम्मू-कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति अधिनियम है, जिसमें पलायन के लिए कट ऑफ की तारीख 1 नवंबर 1989 है.
बीजेपी आईटी सेल चीफ ने इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए आगे लिखा कि, 18 जनवरी 1990 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने तक उन्होंने उन 79 दिनों तक क्या किया ?
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