नेशनल कांफ्रेंस (NC) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार (22 सितंबर) को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की बात करनी चाहिए थी. जम्मू-कश्मीर का हर नागरिक राज्य का दर्जा बहाल होने की उम्मीद लगाए बैठा है. ऐसे में अच्छा होता कि आप स्टेटहुड की बात करते. मोदी ने रविवार (21 सितंबर) को शाम अपने संबोधन में लोगों को जीएसटी सुधार के फायदे बताए. संशोधित जीएसटी दरें 22 सितंबर 2025 से लागू हुईं हैं.
अब्दुल्ला ने श्रीनगर में मीडिया से बातचीत में कहा, ‘‘आप जीएसटी की बात कर रहे हैं, अच्छा होता अगर आपने (मोदी) अपने संबोधन में हमारे राज्य के दर्जे पर बात की होती.’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस को हाई कोर्ट से अनुकूल फैसले की उम्मीद है, तो अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का हर नागरिक राज्य का दर्जा बहाल होने की उम्मीद लगाए बैठा है. राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर याचिका अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.
सभी को उम्मीद है कि फिर से राज्य का दर्जा मिलेगा- फारूक
उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ नेशनल कांफ्रेंस ही नहीं, बल्कि सभी को उम्मीद है कि हमें फिर से राज्य का दर्जा मिलेगा.’’ जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक के मुकदमे से संबंधित एक सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा कि यह अदालत का विषय है. उन्होंने कहा, ‘‘फैसला अदालत करती है. अदालत ही तय करेगी. हमारी इसमें कोई भूमिका नहीं है.’’
जम्मू-कश्मीर में शासन व्यवस्था पर क्या बोले फारूक अब्दुल्ला
मलिक को फरवरी 2019 में गिरफ्तार किया गया था और वह आतंकवाद को वित्तपोषित करने के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है. उस पर कई मामले लंबित हैं, जिनमें 1990 में रुबैया सईद के अपहरण और रावलपोरा में वायुसेना के कर्मियों पर हमले का मामला भी शामिल है. अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में शासन व्यवस्था को ‘उस्तरे की धार पर चलने जैसा’ करार दिया. उन्होंने कहा, ‘‘...लेकिन हमें उस पर चलना है और पीछे नहीं हटना है.’’
मेहराज मलिक की PSA के तहत गिरफ्तारी गलत- फारूक
डोडा से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक मेहराज मलिक की गिरफ्तारी को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने कहा कि विधायक द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा अनुचित थी, लेकिन उन्हें सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत गिरफ्तार करना भी गलत था. उन्होंने कहा, ‘‘मलिक द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द अनुचित थे, लेकिन पीएसए लगाना (भी) गलत था.
फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा, ''इसे बातचीत से सुलझाया जा सकता था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.’’ जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम ने ये भी कहा कि निर्वाचित सरकार के पास पीएसए हटाने का अधिकार नहीं है. यह उपराज्यपाल के पास है.’’