जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने आज 3 नवंबर ऐतिहासिक ‘दरबार मूव’ (Darbar Move) परंपरा की बहाली का ऐलान किया है. करीब चार साल के अंतराल के बाद एक बार फिर सचिवालय का औपचारिक उद्घाटन जम्मू में हुआ. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सिविल सचिवालय पहुंचकर गार्ड ऑफ ऑनर प्राप्त किया. इस मौके पर नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला भी मौजूद रहे. 

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परंपरा की वापसी से जनता में उत्साह

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब दरबार मूव बंद किया गया था, तब जम्मू को बड़ा झटका लगा था. उन्होंने बताया कि जनता से किए वादे के मुताबिक उनकी सरकार ने इस परंपरा को पुनः शुरू किया है. उन्होंने कहा, “दरबार मूव केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि जम्मू और श्रीनगर को जोड़ने वाला भावनात्मक सेतु है.” उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर ये दरबार मूव है क्या और क्या खास है?

‘दरबार मूव’ क्या है और क्यों खास है?

दरअसल ‘दरबार मूव’ जम्मू-कश्मीर की 149 साल पुरानी वो परंपरा है, जिसके तहत प्रदेश सरकार छह माह श्रीनगर और छह माह जम्मू से काम करती है. यह व्यवस्था डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह के समय से चली आ रही है. इससे न केवल दोनों क्षेत्रों के बीच प्रशासनिक संतुलन बना रहता है, बल्कि लोगों के बीच क्षेत्रीय एकता की भावना भी मजबूत होती है.

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आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से फायदेमंद

विशेषज्ञों का मानना है कि दरबार मूव की बहाली से स्थानीय व्यापार, होटल और परिवहन क्षेत्र को बड़ा फायदा होगा. बता दें कि चार साल पहले जब यह परंपरा रुकी थी, तब शहर की आर्थिक गतिविधियों पर गहरा असर पड़ रहा था. अब सरकार की यह पहल न केवल भावनात्मक जुड़ाव को पुनर्जीवित करेगी, बल्कि जम्मू-कश्मीर की एकता और प्रगति की दिशा में एक सकारात्मक संदेश भी देगी.