कश्मीर की ऊंची पहाड़ियों पर इस मौसम की पहली बर्फबारी ने 40 दिनों की कड़ाके की ठंड चिल्ला-ए-कलां की शुरुआत कर दी है. स्थानीय लोगों के लिए यह सर्दियों का सबसे कठिन दौर माना जाता है, जो हर साल 21 दिसंबर से शुरू होकर 31 जनवरी तक चलता है. इस बार चिल्ला-ए-कलां की शुरुआत के साथ ही मौसम ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है.
तीन महीने के सूखे पर लगा ब्रेक
लगभग तीन महीनों से चला आ रहा इंतजार रविवार (21 दिसंबर) को बर्फबारी के साथ खत्म हो गया. मौसम में आए इस बदलाव से घाटी की हवा भी साफ हो गई है. चिल्ला-ए-कलां के दौरान तापमान अक्सर शून्य से नीचे चला जाता है और ऊंचाई वाले इलाकों में भारी बर्फबारी होती है.
पहली ही बर्फबारी में पहाड़ बर्फ की मोटी सफेद चादर से ढक गए हैं. डल झील का पानी भी जमने लगा है, जो इस मौसम का एक जाना-पहचाना नजारा है. यह दौर कश्मीर की सर्दियों की पहचान माना जाता है.
गुलमर्ग और सोनमर्ग में लौटी रौनक
सीजन की पहली बर्फबारी गुलमर्ग के स्की रिजॉर्ट और सोनमर्ग हिल स्टेशन में भी दर्ज की गई है. बर्फ न पड़ने की वजह से क्रिसमस और नए साल के जश्न के फीके रहने की चिंता कर रहे लोगों के चेहरे पर अब मुस्कान लौट आई है. टूरिज्म से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि चिल्ला-ए-कलां के दौरान अच्छी बर्फबारी होगी और नए साल पर बड़ी संख्या में सैलानी घाटी का रुख करेंगे.
रात भर बादल छाए रहने के कारण घाटी में न्यूनतम तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई. इस सर्दी में पहली बार श्रीनगर में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ. गुलमर्ग में पारा माइनस 1.5 डिग्री और पहलगाम में 2.8 डिग्री सेल्सियस रहा. वहीं जम्मू संभाग के इलाकों में भी सर्दी का असर साफ दिखाई दे रहा है.
बर्फबारी से रास्ते बंद, हाईवे पर ट्रैफिक रोका गया
ऊंचे इलाकों में बर्फबारी के चलते जोजिला पास में हालात बिगड़ गए हैं. एहतियातन अधिकारियों ने श्रीनगर-लेह नेशनल हाईवे पर ट्रैफिक रोक दिया है. इसके अलावा कुपवाड़ा जिले के सदना टॉप, बांदीपोरा के रजदान पास और अनंतनाग के सिंथन पास पर भी आवाजाही बंद कर दी गई है.
पानी के स्रोतों के लिए जरूरी है चिल्ला-ए-कलां
चिल्ला-ए-कलां को सिर्फ कड़ाके की ठंड का दौर ही नहीं, बल्कि आने वाले महीनों के लिए पानी की सुरक्षा का समय भी माना जाता है. इस दौरान होने वाली भारी बर्फबारी से ऊंचे इलाकों के बारहमासी जलाशय भर जाते हैं, जो गर्मियों में घाटी की जरूरतों को पूरा करते हैं. इसी वजह से लोग अब और बर्फबारी की दुआ कर रहे हैं, ताकि आने वाला मौसम बेहतर रह सके.