जम्मू और कश्मीर सरकार ने राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और युवाओं के लिए स्किल-बेस्ड रोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने स्किल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के तहत "मुख्यमंत्री हेरिटेज कोर्स शुरू करने की योजना" को मंजूरी दे दी है.
इस योजना का उद्देश्य न केवल पारंपरिक कलाओं को संरक्षित करना है, बल्कि इन्हें युवाओं के लिए स्थायी रोजगार के रूप में स्थापित करना भी है. इस नई पहल के तहत जम्मू-कश्मीर के विभिन्न सरकारी संस्थानों में सात पारंपरिक शिल्प कोर्स शुरू किए जाएंगे. इनमें लकड़ी की नक्काशी, पपीयर-माचे, शॉल बुनाई, कालीन निर्माण, तांबे के बर्तन बनाना, नक्काशीदार फर्नीचर और अन्य हेरिटेज स्किल्स शामिल हैं.
लगभग 500 छात्रों को एडमिशन का अवसर मिलेगा- CM
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के ऑफिस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि “इन कोर्स की ट्रेनिंग राज्यभर के सरकारी ITI और पॉलिटेक्निक संस्थानों में 25 यूनिट्स के माध्यम से शुरू की जाएगी, जिसमें लगभग 500 छात्रों को एडमिशन का अवसर मिलेगा.”
युवाओं को मिलेगा स्टाइपेंड, प्रशिक्षकों को मानदेय
सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस योजना के तहत नामांकित छात्रों को हर महीने स्टाइपेंड दिया जाएगा, ताकि वे प्रशिक्षण के दौरान आर्थिक रूप से सशक्त रह सकें. वहीं, ट्रेनिंग देने वाले इंस्ट्रक्टर को मानदेय प्रदान किया जाएगा, जिससे भागीदारी और शिक्षण की गुणवत्ता दोनों में सुधार हो सके. इस कदम से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि राज्य की पारंपरिक कला को नई पहचान भी मिलेगी.
आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ हेरिटेज शिक्षा
यह प्रोजेक्ट पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक ट्रेनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का समन्वय है. इसका लक्ष्य युवाओं को ऐसी स्किल्स से लैस करना है जो वैश्विक स्तर पर उनकी पहचान बना सकें. जम्मू-कश्मीर के पारंपरिक शिल्प, जो सदियों से इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर रहे हैं, अब आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण के सहयोग से नए युग में प्रवेश करेंगे. यह पहल न केवल सांस्कृतिक संरक्षण का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक मज़बूत कदम है.