वार्षिक अमरनाथ यात्रा की छड़ी मुबारक की पहली पूजा के साथ ही विधि और शास्त्रों अनुसार गुरुवार (24 जुलाई) से यात्रा शुरू हो गई. श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर में सुबह पूजा के बाद छड़ी मुबारिक को कश्मीर घाटी के विभिन्न मंदिरों में ले जाकर पूजा का सिलसिला शुरू हो गया है जो 4 अगस्त तक जारी रहेगा और अंतिम पूजा 9 अगस्त को श्रवन पूर्णिमा के दिन समाप्त होगी.

श्रीनगर के दशनामी अखाड़े में अमरनाथ की पवित्र छड़ी की पहली पूजा हुई. पूजा सुर्युदय के साथ ही शुरू हुई और दशनामी अखाड़े के महंत दीपिंदर गिरी ने पूजा की शुरुआत की. पूजा के बाद  छड़ी को दशनामी अखाड़े से निकाल कर शंकराचार्य मंदिर ले जाया गया जहां पर भी पूजा अर्चना और हवन हुआ.

साढ़े तीन लाख श्रद्धालु कर चुके दर्शन

अमरनाथ यात्रा में आज पहली बार छड़ी मुबारक को दशनामी अखाड़े से बहार निकला गया और इसके साथ ही विधी अनुसार अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई. हालांकि यात्रा पिछले 21 दिन से जारी है और अभी तक 3 लाख 50 हजार के करीब यात्री दर्शन भी कर चुके हैं. 

दशनामी अखाड़े के महंत दीपिंदर गिरी के अनुसार यात्रा को लेकर जो मान्यता है कि उस में दर्शन और यात्रा अलग अलग है. जो यात्रा आज से पहले दर्शन कर चुके है उनको उसका लाभ प्राप्त होगा लेकिन शास्त्रों के अनुसार भगवन शिव के प्रतीक - छड़ी मुबारक के साथ ही शास्त्रों अनुसार यात्रा होती है और आखिरी दर्शन के बाद स्नान और आहुति के साथ पूर्ण होती है.

छड़ी मुबारक की पूजा

शंकराचार्य मंदिर में गुरुवार (24 जुलाई) को हुई पूजा के बाद अगले 15 दिन में छड़ी मुबारक को श्रीनगर, पाम्पोर, बिजबिहारा, और मट्टन के मंदिरों में ले जाया जाएगा. विधी अनुसार पूजा के बाद पहलगाम में छड़ी मुबारक को स्थापित किया जाता है और यहां पर ही इसकी भूमि पूजा भी होती है.

रक्षाबंधन पर खत्म होगी यात्रा

पूजा अर्चना का यह सिलसिला 4 अगस्त तक इसी तरह चलता रहे गा और उसी दिन छड़ी को यात्रा के साथ पहलगाम ले जाया जाए गा और 9 अगस्त को, रक्षाबंधन के दिन पवित्र अमरनाथ गुफा पर शिवलिंग के दर्शन के साथ ही इस साल की यात्रा समाप्त हो जाएगी.