Anji Khad Bridge: जब घाटियां गहरी होती हैं और पहाड़ रास्ता रोकते हैं, तब इंसान के सपने ऊंचे हो जाते हैं. दुश्वार होते रास्तों में जब इंसान की जिद मजबूत हो जाए तब होता है करिश्मा. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भारतीय इंजीनियरों ने.
कश्मीर के दिल तक पहुंचने के इन्हीं ऊंचे सपनों ने फिर से एक नई कहानी को जन्म दिया है. ये कहानी एक पुल की है जो सिर्फ लोहे और केबल से नहीं, हिम्मत और हुनर से भी बना है. ये कहानी है भारत के पहले केबल-स्टेड रेलवे ब्रिज- अंजी खड्ड ब्रिज की जो जम्मू-कश्मीर की चुनौतीपूर्ण घाटियों के बीच, अंजी नदी की गहरी खाई को पाटता है. कटरा और रियासी के बीच कनेक्टिविटी को एक नया आयाम देने जा रहा यह अद्भुत संरचना भारतीय इंजीनियरिंग के आत्मविश्वास और कौशल की मिसाल है.
कटरा से इन जगहों को जोड़ेगा ये ब्रिज
कटरा और रियासी को जोड़ने वाला यह ब्रिज, उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह पुल दुर्गम पहाड़ियों और गहरी खाइयों को पार करते हुए, जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से और अधिक मजबूती से जोड़ने का काम करेगा.
ये है इस ब्रिज की खासियत
यह अद्भुत संरचना सिर्फ 11 महीनों में तैयार की गई है. 725 मीटर लंबे इस ब्रिज की खासियत इसकी 96 केबलों वाली संरचना है, जिनकी कुल लंबाई 653 किलोमीटर और वजन 849 मीट्रिक टन है. नदी तल से इसकी ऊंचाई 331 मीटर है, जबकि इसका सेंट्रल पायलन 193 मीटर ऊंचा है. इस पुल के निर्माण में 8,215 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे मजबूती और संतुलन प्रदान करता है. चिनाब ब्रिज के बाद यह भारत का दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है.
इस पुल के माध्यम से न सिर्फ रेल संपर्क सुधरेगा, बल्कि घाटी के सुदूर इलाकों को शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं से जोड़ना भी आसान होगा. बेहतर कनेक्टिविटी से पर्यटन को बल मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे.
अंजी खड्ड ब्रिज, एक ऐसा सेतु है जो सिर्फ घाटियों को नहीं, दिलों को भी जोड़ता है. यह पुल कश्मीर के विकास की नई राह का अग्रदूत बन गया है.