अमरनाथ यात्रा के अंतिम दिन 6,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने दक्षिण कश्मीर हिमालय स्थित पवित्र गुफा मंदिर में हिम शिवलिंग के दर्शन किए, जिससे कुल यात्रियों की संख्या 4.14 लाख हो गई. पिछले साल 5.10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे.
अमरनाथ यात्रा का समापन आम तौर पर रक्षा बंधन के दिन होता है. इस साल यह यात्रा 9 अगस्त को समाप्त होने वाली थी. हालांकि, भारी बारिश के मद्देनजर 'महत्वपूर्ण मरम्मत और रखरखाव कार्यों' का हवाला देते हुए यात्रा का समापन एक सप्ताह पहले ही कर दिया गया.
अमरनाथ यात्रा के अंतिम दिन आए इतने श्रद्धालु
शनिवार (2 अगस्त) को कुल 6,497 तीर्थयात्रियों ने 3,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन किए. यात्रियों में 4,586 पुरुष, 1,299 महिलाएं, 62 बच्चे, 51 साधु, पांच साध्वी और 494 सुरक्षा बल के जवान शामिल थे. वहीं, 3 जुलाई को यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 4,14,311 यात्री पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन कर चुके हैं.
हाल ही में हुई भारी बारिश से क्षतिग्रस्त हुए मार्गों के रखरखाव की आवश्यकता के कारण, अधिकारियों ने इस वर्ष की वार्षिक अमरनाथ यात्रा उसके निर्धारित समापन से ठीक एक सप्ताह पहले शनिवार को स्थगित कर दी.
श्रद्धालुओं की संख्या में आई थी गिरावट
एक समय था जब अमरनाथ के तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी गिरावट आई थी. मााना जा रहा था कि खराब मौसम के चलते कम श्रद्धालु आ रहे थे. वहीं, 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद पहले से ही अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी.
मुस्लिम चरवाहे ने की थी अमरनाथ गुफा की खोज
मान्यता है कि अमरनाथ यात्रा की जड़ें साल 1850 से जुड़ी हैं, जब एक मुस्लिम चरवाहे बोटा मलिक ने बाबा बर्फानी की गुफा की खोज की थी. साल 2005 में श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने कार्यभार संभाला. इससे पहले मलिक परिवार ही तीर्थयात्रा का आयोजन कराता था.
समय के साथ जब सुरक्षा बढ़ती गई तो तीर्थयात्रियों का संपर्क स्थानीय आबादी से कटता गया. सुरक्षा घेरे के अंदर ही अमरनाथ यात्री दर्शन मार्ग पर चलने लगे. केवल टट्टू चलाने वाले, पालकी उठाने वाले और कुछ दुकानदार ही अब यात्रियों से संपर्क में रह पाते हैं.