जम्मू-कश्मीर में रिजर्वेशन का मुद्दा एक बार फिर नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार के लिए खतरा बन गया है. रूलिंग पार्टी के सांसद ने अपनी ही पार्टी की राज्य सरकार को धमकी दी है. उन्होंने कहा कि अगर यह मुद्दा हल नहीं हुआ तो वे प्रोटेस्ट कर रहे स्टूडेंट्स के सपोर्ट में सड़कों पर उतरेंगे.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के बागी लोकसभा सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने जम्मू-कश्मीर में पार्टी की लीडरशिप वाली सरकार से पार्लियामेंट का विंटर सेशन खत्म होने से पहले रिजर्वेशन का मुद्दा हल करने को कहा है. उन्होंने कहा है कि अगर 20 दिसंबर तक कोई एक्शन नहीं लिया गया, तो वे कोटा प्रोटेस्ट में शामिल होंगे.
अपनी पार्टी के खिलाफ सड़क पर उतरने का ऐलान
पार्लियामेंट का विंटर सेशन 1 से 19 दिसंबर तक 15 वर्किंग डेज के साथ होगा और मेंबर ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी और अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने के फैसले का ऐलान किया.
मेहदी ने जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स और नौकरी के इच्छुक कैंडिडेट्स की मांग का सपोर्ट किया है, जो 2019 में आर्टिकल 370 हटाने के तीन साल बाद केंद्र सरकार द्वारा लाई गई मौजूदा रिजर्वेशन पॉलिसी का रिव्यू और उसे सही बनाने की मांग कर रहे हैं.
सांसद ने सरकार पर लगाया आरोप
सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह ने केंद्र शासित प्रदेश के एडमिनिस्ट्रेशन पर भी पढ़े-लिखे युवाओं की चिंताओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि सरकार में बैठे लोग हमारे युवा जो दुख और निराशा झेल रहे हैं, उसे कैसे समझेंगे? उन्हें क्या समझाएंगे कि यह पूरी युवा पीढ़ी का दम घोंट रहा है और उन्हें मुश्किल में डाल रहा है?
उन्होंने सवाल करते हुए पूछा, “क्या वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी में मेरिट वाले स्टूडेंट्स के बारे में आज का मामला उनकी आंखें नहीं खोलता? बडगाम के सांसद और एक असरदार शिया नेता मेहदी ने X पर एक पोस्ट में कहा, “क्या उन्हें इस मामले को सुलझाने और हमारे युवाओं को कुछ राहत देने की जरूरत महसूस नहीं होती?”
कोटा को सही करने की मांग पर दे चुके हैं धरना
मेहदी पिछले साल दिसंबर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के घर के बाहर कोटा को सही करने की मांग को लेकर हुए स्टूडेंट प्रोटेस्ट में शामिल हुए थे. बाद में अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा रिजर्वेशन पॉलिसी के खिलाफ उम्मीदवारों के अलग-अलग ग्रुप की शिकायतों को देखने और छह महीने के अंदर रिपोर्ट देने के लिए एक कैबिनेट सब-कमेटी बनाई.
16 अक्टूबर को अब्दुल्ला ने कहा कि कैबिनेट ने सब-कमेटी की रिपोर्ट मान ली है. साथ ही इसे लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास उनकी मंजूरी के लिए भेजा जाना है. बडगाम असेंबली उपचुनाव से पहले, उन्होंने कुछ दिन कहा, बिना किसी को बताए कि उन्होंने मामला सुलझा लिया है या नहीं. मेहदी, जिन्होंने बडगाम उपचुनाव में पार्टी कैंडिडेट के लिए कैंपेन नहीं किया था, जिसमें NC हार गई थी, उन्होंने कहा, “वे कुछ दिन अब एक महीने से ज्यादा हो रहे हैं.”
उन्होंने आगे कहा कि भविष्य का कोई भी समाधान नौकरी चाहने वालों को हुए नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएगा. उन्होंने पूछा, “अब अगर वे भविष्य में कभी इस मुद्दे को सुलझा भी लेते हैं, जो मुझे नहीं लगता कि मुमकिन है, तो उनके खोए हुए सालों और पहले से चली आ रही वैकेंसी की भरपाई कैसे होगी.”
रूहुल्लाह मेहदी ने सरकार को दिया अल्टीमेटम
मेहदी ने आगे कहा कि अगर सरकार 20 दिसंबर तक कार्रवाई नहीं करती है, तो वह फिर से प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल होंगे. उन्होंने कहा, “मैं उनके साथ फिर से बैठूंगा जैसे हमने पिछले दिसंबर में किया था. चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार यह एक दिन के लिए नहीं होगा.”
एक और पोस्ट में, मेहदी ने श्री माता वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी (SMVDU) में MBBS एडमिशन में हिंदुओं की तुलना में मुसलमानों की संख्या ज्यादा होने पर आपत्ति जताने के लिए BJP पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “तो, अब हमें बताया जा रहा है कि मुस्लिम स्टूडेंट्स को वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ना चाहिए, क्योंकि इसमें हिंदू डोनर हैं. भले ही यह एक सरकारी संस्था है.”
उन्होंने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को नियुक्त करने के सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाया, जबकि उसी समय SMVDU में मुस्लिम एनरोलमेंट पर आपत्ति जताई. उनका कहना है कि BJP इन दो अलग-अलग बातों को कैसे सही ठहराती है? यहां कौन सा सिद्धांत काम कर रहा है? उन्होंने कहा कि यह धर्म का बहुत ही सेलेक्टिव इस्तेमाल है, जो हमेशा सिर्फ एक ही दिशा में चलता दिखता है.
अब्दुल्ला ने बिना मेरिट के MBBS सीटें देने पर जताई अपत्ति
मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने सोमवार (24 नवंबर) को SMVDU में एडमिशन पर BJP के रुख पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि बिना मेरिट के MBBS सीटें देने के किसी भी कदम के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी की जरूरत होगी.
मुख्यमंत्री ने कहा, “जब असेंबली ने माता वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी बनाने का बिल पास किया था, तो यह कहां लिखा था कि किसी खास धर्म के स्टूडेंट्स को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा? सीएम ने कहा, “उस समय कहा गया था कि एडमिशन धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि सिर्फ मेरिट के आधार पर दिए जाएँगे.”
SMVDU को इस साल 50 MBBS सीटें मंजूर की गई थीं. लेकिन 2025-26 एकेडमिक ईयर के लिए पहले बैच में एक खास समुदाय के 42 स्टूडेंट्स को एडमिशन दिए जाने से विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें राइट-विंग हिंदू ग्रुप्स ने इस प्रोसेस पर सवाल उठाए हैं. नए बने इंस्टीट्यूट के लिए “माइनॉरिटी इंस्टिट्यूशन” का स्टेटस मांगा है.
अधिकारियों ने दावा किया कि एडमिशन मेरिट के आधार पर दिए गए थे क्योंकि इंस्टीट्यूट को माइनॉरिटी स्टेटस नहीं दिया गया था और इसलिए, धर्म के आधार पर कोई रिजर्वेशन क्राइटेरिया लागू नहीं किया जा सकता था.