Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के ओबीसी विभाग के चेयरमैन विक्रम चौधरी ने इस्तीफा दे दिया है. विक्रम चौधरी ने कांग्रेस की हिमाचल प्रदेश सरकार पर ओबीसी समाज के हितों को दरकिनार करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि पार्टी ने ओबीसी को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया, सरकार ने उनके हितों के लिए कुछ नहीं किया.


विक्रम चौधरी ने आगे कहा कि ये अहम इसलिए है क्योंकि राहुल गांधी देश भर में ओबीसी भागीदारी के मुद्दे को उठा रहे हैं, दूसरी तरफ उनकी पार्टी के ओबीसी नेता कांग्रेस में ओबीसी की उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं. इसे लेकर विक्रम चौधरी ने हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिबा सिंह को एक पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने लिखा, "मैं आपके ध्यान में लाना चाहूंगा कि मुझे जुलाई, 2022 में एचपीसीसी-ओबीसी विभाग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था और उस समय से मैंने पार्टी के लिए ओबीसी के वोट बैंक को मजबूत करने की पूरी कोशिश की है."


'पार्टी ने ओबीसी को महज वोट बैंक ही समझा'


इसके आगे विक्रम चौधरी ने लिखा, "दिसंबर, 2022 में हिमाचल प्रदेश में हमारी सरकार बनने के बाद हमें पूरा यकीन था कि ओबीसी के हितों का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन ऐसा लगता है कि पार्टी ने ओबीसी को महज वोट बैंक ही समझा है और उनके मुद्दों को हल करने के लिए कुछ नहीं किया है. उन्हें सरकार का हिस्सा नहीं बनाया गया है, क्योंकि दो प्रमुख पद ओबीसी राज्य आयोग के अध्यक्ष और एच.पी. ओबीसी वित्तीय निगमों के अध्यक्ष अभी भी खाली हैं और सरकार की ओर से भरे नहीं गए हैं. शीर्ष पर दोनों कार्यालयों में ओबीसी कार्यकर्ताओं को आयोग के निदेशक या सदस्य के रूप में समायोजित नहीं किया गया है."


पत्र में विक्रम चौधरी ने लिखा, "राज्य के ओबीसी में व्यापक आक्रोश है क्योंकि वे संगठन या सरकार का हिस्सा नहीं हैं (कुल 418 पीसीसी, डीसीसी और बीसीसी सदस्यों में से केवल 8 ओबीसी सदस्य हैं) ओबीसी प्रमाणपत्र की वैधता, कार्यान्वयन जैसी लंबे समय से लंबित मांगें हैं. उच्च शिक्षा यानी विश्वविद्यालयों, मेडिकल कॉलेजों में 18 प्रतिशत आरक्षण और इसी तरह सरकार में भी 18 प्रतिशत का समान आरक्षण। प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां, एचपीपीएससी और अधीनस्थ आयोग में ओबीसी सदस्यों की नियुक्ति पूरी नहीं हुई है."


इन सब बातों को जिक्र करते हुए विक्रम चौधरी ने लिखा, "वर्तमान परिस्थितियों में यह बेहतर है कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूं और इसलिए अनुरोध है कि मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाए और मुझे अपने कर्तव्यों से मुक्त कर दिया जाए. हालाँकि मैं एक समर्पित पार्टी कार्यकर्ता बना रहूंगा और पार्टी की बेहतरी के लिए काम करूंगा."


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