Shimla Landslide: बात 14 अगस्त की है. पिछली रात से ही जोरदार बारिश हो रही थी. शिमला में हर कोई डर के साए में जी रहा था. फागली इलाके में रहने वाले विकास सिद्धू और उनकी धर्मपत्नी सुनीता सिद्धू भी अपने घर पर थे. पत्नी ने गर्म पानी पीने को दिया और फिर सुबह की चाय बनाने की तैयारी थी. दोनों चर्चा कर रहे थे कि जहां वे अभी रह रहे हैं, वहां रहना सुरक्षित नहीं है. बारिश रुकते ही किसी दूसरी जगह पर शिफ्ट हो जाएंगे, लेकिन तभी अचानक जोरदार भूस्खलन हुआ और घर इसकी चपेट में आ गया. रात भर जिस डर के साए में काटी थी. वह डर अब सामने आ खड़ा हुआ था. भूस्खलन की वजह से भारी मलबे में विकास और उनकी पत्नी सुनीता के साथ बेटी नम्रता दब गए.


खौफजदा हो उठे थे सभी लोग 


शिमला के फागली इलाके में यह भूस्खलन एक बार नहीं, बल्कि तीन बार हुआ. पहले हुए भूस्खलन ने घरों को अपनी चपेट में ले लिया. इसके बाद आसपास के लोगों ने जब फंसे लोगों को बचाने की कोशिश की, तब तक दूसरे भूस्खलन ने बचाने आए लोगों को भी चपेट में ले लिया. यह तबाही यहीं नहीं रुकी. चंद मिनट में तीसरा भूस्खलन हुआ और चारों तरफ तबाही मच गई. जिस किसी ने भी मंजर देखा, वह खौफजदा हो गया. अब आसपास के लोग आगे आने में डरने लगे. क्योंकि जो लोग पहले मदद के लिए आगे आए थे, वह भी भूस्खलन की चपेट में आ चुके थे. हिम्मत जुटाने के बाद दोबारा मदद का काम शुरू हुआ.


'पहले सबने कहा मेरी पत्नी ठीक है'


कुछ देर बाद संयोग से बेटी नम्रता का फोन बजा. नम्रता ने जैसे-तैसे फोन ढूंढा और अपने दोस्त से बात की. बताया कि वह परिवार के साथ मलबे में दबी है. इसके बाद उन्हें ढूंढने का काम शुरू हुआ. मौके पर पहुंचे SSB के जवानों ने पिता विकास और बेटी नम्रता को रेस्क्यू कर लिया. विकास सिद्धू को जब अस्पताल ले जाया जा रहा था, तो वह बार-बार अपनी पत्नी को बचाने के लिए गुहार लगा रहे थे. अस्पताल में एडमिट होने के बाद भी वे बार-बार अपनी पत्नी के बारे में ही पूछते रहे. सबने कहा कि उनकी पत्नी बिलकुल ठीक है. अभी उन्होंने जूस पिया है, लेकिन फिर तीन दिन बाद उन्हें बताया गया कि धर्मपत्नी तो 14 अगस्त को ही ईश्वर को प्यारी हो गई.


मैं वह मंजर याद नहीं करना चाहता- विकास


भारी तबाही में अपनी धर्मपत्नी सुनीता को गवाने वाले विकास सिद्धू बताते हैं कि वह मंजर बेहद भयावह था. वह अब इस बात को याद नहीं करना चाहते, क्योंकि आज भी जहन में वह तस्वीर आते ही उनके शरीर में सिहरन पैदा हो जाती है. विकास सिद्धू बताते हैं कि उनकी धर्मपत्नी सुनीता और वह अक्सर बैठकर यह बात करते थे कि हम दोनों इस दुनिया को एक साथ ही अलविदा कह कर जाएंगे, लेकिन फिर सुनीता तो अकेले ही इस दुनिया से चली गई. विकास सिद्धू 75 फीसदी दृष्टिबाधित हैं. उन्हें आने-जाने के लिए सहारे की जरूरत होती है और उनका सबसे बड़ा सहारा तो सुनीता ही थी. विकास भूस्खलन में बुरी तरह घायल हुए हैं. उनके पैरों में गंभीर चोट आई है और उन्हें डॉक्टर ने बेड रेस्ट की सलाह दी है. इसी वजह से काम पर भी नहीं जा पा रहे हैं.


अब बस एक घर चाहते हैं विकास सिद्धू


आपदा प्रभावित विकास सिद्धू की मांग है कि सरकार उन्हें रहने के लिए एक घर उपलब्ध करवा दे. फिलहाल वे अपने बड़े भाई के घर पर रह रहे हैं. जिस जगह पर अभी वह रहते हैं, वह घर भी एक महीने में खाली करना पड़ेगा, क्योंकि भारत सरकार की प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले बड़े भाई की ट्रांसफर भी दिल्ली हो चुकी है. ऐसे में अब उन्हें यह घर भी खाली करना है. समस्या यह है कि बच्चों को लेकर वे आखिर जाएं तो जाएं कहां? आंखों से साफ दिखता नहीं, पैरों में गंभीर चोट की वजह से चलने में परेशानी हो रही है और सहारा धर्मपत्नी सुनीता पहले ही साथ छोड़कर जा चुकी हैं. सरकार-प्रशासन की ओर से फौरी राहत तो मिल गई. अब जरूरत है एक आशियाने की, ताकि अपने घर-परिवार का गुजर-बसर कर सकें. उम्मीद है कि सरकार विकास सिद्धू और उनके बच्चों को भी वह सुख देगी, जिस सुख के दावे और वादे प्रदेश भर में हो रहे हैं.