Shimla Winter Carnival: विश्व भर में हिमाचल प्रदेश की पहचान अपनी खूबसूरती के लिए है. लेकिन, शिमला जिला प्रशासन और नगर निगम शिमला को यह खूबसूरती रास नहीं आ रही है. शिमला को और ज्यादा खूबसूरत बनाने के नाम पर यहां लगे सालों पुराने चिनार के पेड़ों पर कील और क्लिप गाड़ कर पेड़ के इर्द-गिर्द लाइटिंग की जा रही है. शहर भर में इसका जमकर विरोध किया जा रहा है. शिमला शहर के बुद्धिजीवी और पर्यावरणविद् इसे सरासर बेवकूफी बता रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी जमकर सजावट के नाम पर की जा रही इस छेड़छाड़ का विरोध हो रहा है.


पूर्व डिप्टी मेयर ने खड़े किए सवाल


नगर निगम शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर और पर्यावरणविद् टिकेंद्र पंवर ने इसका विरोध किया है. टिकेंद्र पंवर ने कहा कि यह सरासर बेवकूफी है. पंवर ने कहा- 'This is totally Nonsense and Nuisance'. शहर में इसका कोई औचित्य नहीं है. शिमला पहले से ही बहुत ज्यादा खूबसूरत है. यहां पेड़ों पर लाइटिंग कर उसे नुकसान पहुंचाने का मतलब समझ नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि बड़ी मुश्किलों के साथ शिमला के इन खूबसूरत चिनार के पेड़ों को बचाया गया है, लेकिन यहां पेड़ों को छलनी करने का काम हो रहा है. टिकेंद्र पंवर ने मांग की है कि सजावट के नाम पर पेड़ों के साथ किया जा रहे खिलवाड़ को बंद किया जाना चाहिए.


शिमला के युवा भी हैं चिंतित


भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता विक्रांत चौहान ने भी प्रशासन के इस कदम को गलत बताया है. विक्रांत ने कहा कि पेड़ों पर सरेआम कील लगाकर लाइटिंग की जा रही है. यह नियमों के खिलाफ है. इससे पेड़ों को नुकसान पहुंच रहा है. शिमला आने वाले पर्यटक यहां की खूबसूरती देखने के लिए आते हैं, लेकिन प्रशासन खूबसूरती को ही बर्बाद करने पर तुला हुआ है. जुलाई-अगस्त के महीने में आई आपदा के बाद भी प्रशासन को समझ नहीं आई है. उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ यहां खिलवाड़ शिमला को भारी पड़ेगा.


क्या कहता है नगर निगम प्रशासन?


शिमला नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने कहा है कि शिमला को खूबसूरत बनाने के लिए पेड़ों पर लाइटिंग की जा रही है. पेड़ों पर सिर्फ छोटे-छोटे क्लिप का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह क्लिप पेड़ की बाहरी सतह तक भी नहीं पहुंचती. उन्होंने इस संदर्भ में एक्सपर्ट से भी बात की है. इससे पेड़ को कोई नुकसान नहीं हो रहा है. नगर निगम शिमला के कमिश्नर भूपेंद्र अत्री ने कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि शिमला के लोग पर्यावरण को लेकर बेहद जागरूक हैं, लेकिन वह उन्हें आश्वस्त करना चाहते हैं कि इससे पेड़ को कोई नुकसान नहीं होगा. पेड़ों पर की गई लाइटिंग परमानेंट नहीं, बल्कि टेंपरेरी है. इसे कुछ ही वक्त में निकाल लिया जाएगा. उन्होंने जनता को विश्वास दिलाया कि इससे पेड़ों को नुकसान नहीं होगा.


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