Himachal Pradesh News: देशभर में मंगलवार को दशहरे (Dussehra) का त्योहार धूमधाम से मनाया जाना है. हिमाचल प्रदेश के शिमला (Shimla) में भी दशहरे के त्योहार को लेकर लोगों में खास उत्साह है. राजधानी के जाखू मंदिर (Jakhoo Mandir) में सालों से दशहरे का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. खास बात यह है कि यहां रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ का पुतला तैयार करने के लिए खास तौर पर मुस्लिम (Muslim) कारीगर पहुंचते हैं. यह मुस्लिम कारीगर साल 2006 से पुतला बनाने के लिए यहां आते हैं.


जाखू मंदिर में पुतला बनाने के लिए पहुंचे कारीगर मोहम्मद आदिल, मोहम्मद आरफीन और मोहम्मद असलम ने बताया कि रावण का पुतला बनाने का काम करने वाली यह उनकी तीसरी पीढ़ी है. उनके परदादा, दादा के साथ पिता भी यही काम किया करते थे. अब बच्चे यही काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिमला की सबसे ऊंची पहाड़ी जाखू पहुंचकर रावण का पुतला तैयार करना अपने आप में बेहद अलग अनुभव रहता है.


'हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का संदेश देने की जरूरत'


तीनों कारीगरों ने कहा कि आज देश में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के साथ सद्भाव का संदेश देने की जरूरत है. राजनीति के नाम पर हिंदू-मुसलमान को लड़ाने की कोशिश की जाती है, लेकिन हकीकत यह है कि त्योहार सभी के साझे हैं और किसी के बीच किसी तरह की कोई लड़ाई नहीं है. पुतला बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि वे सालों से यहां आ रहे हैं और आने वाले वक्त में भी यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा.


दहन के लिए तीन पुतले किए गए हैं तैयार


दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई का और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है. शिमला के जाखू में हर साल बेहद हर्ष और उल्लास के साथ दशहरे का त्योहार मनाया जाता है. सूबे के मुख्यमंत्री ही यहां पुतला दहन करने के लिए पहुंचते हैं. मंगलवार शाम बजे के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू यहां रावण कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले का दहन करने के लिए पहुंचेंगे. इसके लिए मंदिर कमेटी की ओर से खास इंतजाम भी किए गए हैं. यहां हर बार की तरह बटन दबाकर ही पुतले का दहन किया जाएगा. जाखू में रावण का पुतला 45 फीट, कुंभकर्ण का पुतला 35 फीट और मेघनाथ का पुतला 30 फीट की ऊंचाई वाला है.


ये भी पढ़ें- HP Aapda Raahat Kosh: हिमाचल आपदा में मदद को लेकर अनुराग ठाकुर का सुक्खू सरकार पर निशाना, जानें- क्यों मांगा एफिडेविट?