Himachal Pradesh: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा हुई. भारत सरकार ने देश की महान विभूतियों को उनके असाधारण योगदान के लिए पुरस्कार देने की घोषणा की है. शिमला के रहने वाले प्रोफेसर सोमदत्त बट्टू को भी पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. लोक संगीत और शास्त्रीय गायन में असाधारण योगदान देने वाले 87 वर्षीय प्रो. सोमदत्त बट्टू पद्मश्री से नवाजे जाएंगे. इससे पहले साल 2019 में प्रोफेसर बट्टू को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है.


पटियाला घराने से संबंध रखने वाले प्रो. सोमदत्त बट्टू ने देश के कई राज्यों और कई अन्य देशों में जाकर लोकगीत और शास्त्रीय गायन से धूम मचाई है. उन्होंने अमेरिका,  नाइजीरिया, वेस्ट इंडीज, पाकिस्तान और केन्या सहित अन्य देशों में कार्यक्रम किए हैं. 40 साल तक उन्होंने बतौर संगीत प्रवक्ता अपनी सेवाएं दी. देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें यह सम्मान देंगी. यह सम्मान प्रोफेसर पट्टू के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश के लिए गौरव का विषय है.


साल 1937 में हुआ था सोमदत्त बट्टू का जन्म


प्रोफेसर सोमदत्त बट्टू शिमला के ब्योलिया के रहने वाले हैं. प्रो. बट्टू का जन्म 5 जुलाई, 1937 को कांगड़ा के जसूर में हुआ था. यहां उनका ननिहाल है. प्रोफेसर बट्टू के पिता राम लाल बट्टू प्रसिद्ध श्याम चौरसिया घराने से संबंधित थे. सोमदत्त शिमला के राजीव गांधी डिग्री कॉलेज से संगीत के प्राध्यापक के तौर पर सेवानिवृत हुए. साल 2016 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने इन्हें हिमाचल गौरव से सम्मानित किया था. साल 2015 में प्रोफेसर बट्टू को पंजाबी संगीत रत्न अवार्ड भी दिया गया था. प्रोफेसर बट्टू का योगदान संगीत के क्षेत्र में असाधारण है. उन्होंने संगीत सीखने की शुरुआत अपने घर से ही की. प्रोफेसर बट्टू को यह सम्मान प्रदेश के अन्य संगीतकारों के लिए भी प्रेरणा देने वाला है.


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