Virbhadra Singh Statue: हिमाचल प्रदेश की राजनीति पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के जिक्र बिना अधूरी है. वीरभद्र सिंह की गिनती हिमाचल प्रदेश के सबसे कद्दावर नेताओं में होती है. दो साल पहले 8 जुलाई, 2021 के दिन वीरभद्र सिंह प्रदेश की जनता को अलविदा कह गए. लेकिन, आज भी वह समर्थकों के दिलों में सांस ले रहे हैं. वीरभद्र सिंह के समर्थक आज भी उन्हें 'राजा साहब' कहते हुए याद कर भावुक हो उठते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के जन्मदिन की पूर्व संध्या के मौके पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया.


सैंज में स्थापित हुई प्रतिमा


छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह की प्रतिमा जिला शिमला के कुमारसैन इलाके की सैंज में स्थापित की गई है. प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने प्रतिमा का अनावरण किया. इस दौरान वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी एवं सांसद प्रतिभा सिंह और हिमाचल प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री एवं वीरभद्र सिंह के सुपुत्र विक्रमादित्य सिंह भी मौजूद रहे. यह प्रतिमा हिमालयन वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से स्थापित की गई है. प्रदेश में यह वीरभद्र सिंह की पहली प्रतिमा है. राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर भी वीरभद्र सिंह की प्रतिमा स्थापित करने की योजना है.


उप मुख्यमंत्री ने किया वीरभद्र सिंह के योगदान को याद


प्रतिमा के अनावरण के दौरान उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश की राजनीति में कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते रहे. वे इतने बड़े नेता हैं कि वे किसी प्रतिमा के मोहताज नहीं हैं. वीरभद्र सिंह के बिना हिमाचल प्रदेश की राजनीति अधूरी है. उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल के निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार और आधुनिक हिमाचल के निर्माता वीरभद्र सिंह को प्रदेश की जनता कभी नहीं भुला सकती. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आज वह लगातार अगर पांच बार से विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं, तो इसके पीछे वीरभद्र सिंह का ही योगदान है. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह न तो पहाड़ के नेता थे और न मैदान के. वे पूरे हिमाचल के नेता थे और उन्होंने प्रदेश की जनता को भावनात्मक तौर पर जोड़ने का काम किया.


साल 2002 में वीरभद्र सिंह ने लगाया था पीपल का पौधा


जिस जगह पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा स्थापित की गई है, वहीं उन्होंने खुद साल 2002 में पीपल का पौधा लगाया था. आज 21 साल बाद यह पीपल का पौधा पेड़ बन चुका है और इलाके के लोगों को कड़ी धूप में छांव देने का काम करता है. वीरभद्र सिंह की शख्सियत भी कुछ इसी तरह की थी, जो किसी को दु:ख में नहीं देख पाते थे.


वीरभद्र सिंह का सियासी सफर 


वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को शिमला जिले के सराहन में बुशहर रियासत के शाही परिवार में हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की. छह बार हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 1962 से महासू लोकसभा क्षेत्र से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. पहली बार महासू से चुनकर तीसरी लोकसभा के सदस्य बने. वे जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के कहने पर राजनीति में आए थे. साल 1967 में इसी संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार सांसद चुने गए. इसके बाद शिमला लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर वीरभद्र सिंह ने 1971 में मंडी लोकसभा क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया.


60 साल तक सक्रिय राजनीति में रहे वीरभद्र सिंह


अपने 60 साल के राजनीतिक सफर के दौरान उन्होंने कुल 14 चुनाव लड़े. वे आठ बार विधायक, छह बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे. वीरभद्र सिंह 1962, 1967, 1971, 1980 और 2009 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. इसके अलावा वे 1983, 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2009, 2012 और 2017 में विधायक रहे. 1983, 1985, 1993, 1998, 2003 और 2012 में उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया.