पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार के तीन साल के जश्न को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि जहां आपदा में सबसे अधिक नुकसान हुआ, वहीं इस सरकार ने जश्न मनाया. उन्होंने इस कृत्य को असंवेदनशील बताया और कहा कि इस सरकार ने आपदा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए नमक छिड़कने का काम किया.
जयराम ठाकुर ने पड्डल के मैदान से आज पूरे प्रदेश ने देखा कि कैसे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने एक-दूसरे के खिलाफ़ आंखें तरेरते हुए भड़ास निकाली. उन्होंने कहा कि जनता, अधिकारी और कर्मचारी भी यह देखकर हतप्रभ रह गए, क्योंकि यह मंच आपसी खुन्नस निकालने का नहीं, बल्कि आपदा पीड़ितों की मदद करने और उनकी संवेदनाओं के साथ चलने का था.
विजनलेस सरकार और केंद्र को कोसना
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 3 साल के उत्सव के बाद अपना विजन रखने का मंच जिस कार्यक्रम को सरकार ने बताया, वहां सिर्फ केंद्र सरकार को कोसने का काम किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि सुक्खू सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले 2 साल भी इसी तरह से केंद्र सरकार और पूर्व की भाजपा सरकार को कोसकर ही चलेंगे. उन्होंने अपने पुराने बयान को दोहराया, "यह सरकार विजनलेस है, विजन पूरी तरीके से ब्लर है," जो आज इस मंच पर साबित हो गया है.
सरकारी पैसे का दुरुपयोग
जयराम ठाकुर ने सवाल उठाया कि करीब दस करोड़ रुपए सरकारी कोष से इस सरकार ने क्या इसलिए खर्च किया कि आपस की लड़ाई सरेआम लड़ी जाए? उन्होंने कहा कि यह पैसा आपदा पीड़ितों को नहीं बांटा जाना चाहिए था. उन्होंने यह भी कहा कि उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने ही व्यवस्था परिवर्तन का नाम देने वाली इस सरकार को खुद ही नंबर दे डाले कि "मुख्यमंत्री सुक्खू जी ऐसा नहीं चलेगा."
कांग्रेस में अंदरूनी कलह
उन्होंने कांग्रेस में अंदरूनी कलह का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जिस हॉलीलोज (वीरभद्र सिंह परिवार) के सहारे यह सरकार सत्ता में आई, उनका न तो कोई फ़ोटो और पोस्टर दिखा, और न ही पूर्व अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उनके बेटे लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ही मौजूद थे. यह दिखाता है कि कांग्रेस में वीरभद्र सिंह कांग्रेस के लोगों को मुख्यमंत्री सुक्खू और उनके मित्र ही खत्म करने पर तुले हुए हैं.
असफल रैली और दबाव में आए लोग
जयराम ठाकुर ने रैली की भीड़ पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि रैली में लोग आए नहीं, बुलाए गए थे और कर्मचारियों पर दबाव था कि सारा काम छोड़ रैली में अवश्य आना है. रैली में स्कूली बच्चों तक को जबरन बसों में बैठाया गया और आई टी आई के बच्चों को जबरन पड्डल मैदान में धकेला गया, लेकिन फिर भी यह रैली असफल और विफल रही. उन्होंने कहा कि यह रैली सिर्फ अपनी भड़ास निकालने और खुन्नस निकालने तक सीमित रही. सरकारी रैली का नाम देकर सरकारी कार्यक्रम मात्र दो मिनट में समेट दिया गया, जबकि लोगों और योजनाओं के लाभार्थियों को यह कहकर लाया गया था कि आपको पैसे दिलाए जाएंगे.