Mansa Ram News: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कद्दावर नेताओं की सूची में शुमार मनसा राम का शनिवार को निधन हो गया. वे 82 साल के थे. मनसा राम ने शिमला (Shimla) के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (Indira Gandhi Medical College) में आखिरी सांस ली. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu), शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर (Rohit Thakur) और मुख्य संसदीय सचिव सुंदर ठाकुर (Sunder Thakur) ने उनके घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. मनसा राम ने अपने राजनीतिक जीवन में 12 चुनाव लड़े और छह में जीत हासिल की. वे अकेले एक ऐसे नेता थे, जिन्हें चार मुख्यमंत्रियों के साथ काम करने का अनुभव था.

 

हिमाचल प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री मनसा राम ने डॉ. यशवंत सिंह परमार, रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह और प्रो. प्रेम कुमार धूमल के साथ काम किया. मनसा राम का नाम हिमाचल के बड़े नेताओं में गिना जाता है. साल 1967 में मनसा राम ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर पहला चुनाव लड़ा. इसके बाद साल 1972 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से जीत हासिल कर डॉ. परमार के मंत्रिमंडल में अपनी जगह बनाई.

 

हिमाचल विकास कांग्रेस की टिकट पर लड़ा चुनाव

 

पूर्व कैबिनेट मंत्री मनसा राम के बारे में एक किस्सा बेहद मशहूर है. साल 1998 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जब कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगी, तो उन्हें आलाकमान ने यह कहकर टिकट देने से इनकार कर दिया कि दिवाली हर बार नहीं आती. इस पर मनसा राम बेहद नाराज हुए. नाराजगी के बाद उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की.

 

मनसा राम ऐसे दिया करारा जवाब

 

साल 1998 के विधानसभा चुनाव में हिमाचल विकास कांग्रेस के पांच विधायक चुनकर आए. इन पांच विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देकर प्रो. प्रेम कुमार धूमल को पहली बार मुख्यमंत्री बनाने में सफलता हासिल की. बीजेपी और हिमाचल विकास कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार पूरे पांच साल तक चली. इसी सरकार में मनसा राम को खाद्य और आपूर्ति मंत्री बनाया गया. हर बार दिवाली नहीं आती कहकर मनसा राम को टिकट देने से इनकार करने वाले आलानेताओं को मनसा राम ने पहले चुनाव में जीत हासिल कर और फिर मंत्रिमंडल में जगह पाकर करारा जवाब दिया था.